अत्यंत चमत्कारी व सिद्ध संत थे ब्रह्मलीन देवरहा बाबा महाराज : योगीराज देवदास महाराज
वृन्दावन। यमुना पार स्थित देवरहा बाबा समाधि स्थल पर ब्रह्मर्षि योगी सम्राट देवरहा बाबा का त्रिदिवसीय 33 वां योगिनी एकादशी वार्षिक पुण्यतिथि महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम से विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ प्रारम्भ हो गया है।महोत्सव का शुभारम्भ आश्रम के अध्यक्ष योगीराज देवदास महाराज (बड़े सरकार) ने ब्रह्मलीन देवरहा बाबा महाराज की प्रतिमा व उनकी समाधि का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पुष्पार्चन करके किया।साथ ही उन्होंने इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में कहा कि हमारे सदगुरुदेव देवरहा बाबा महाराज परम् सिद्ध व अत्यंत चमत्कारी संत थे। इसीलिए उनके दर्शन के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का तांता लगा रहता था।
श्रीनाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज व पीपाद्वाराचार्य बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन संत देवरहा बाबा महाराज युगपुरुष थे।देश व समाज के लिए उनके एक नही अपितु अनेकों कीर्तिमान हैं।पृथ्वी पर उनका अवतरण लोककल्याण के लिए हुआ था।
आचार्यकुटी के अध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी राम प्रपन्नाचार्य व शरणागति आश्रम के महंत बिहारीदास भक्तमाली महाराज ने कहा कि योगी सम्राट देवरहा बाबा महाराज ने अपनी दिव्य व अलौकिक शक्तियों से प्रकृति तक पर विजय प्राप्त की हुई थी।
महोत्सव के व्यवस्थापक महंत शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा योगीराज देवरहा बाबा महाराज पहले देश के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग महीनों में अलग-अलग जगह मचान बनाकर रहा करते थे। परन्तु बाद में वे राधा-कृष्ण के स्वप्नादेश पर स्थाई रूप से श्रीधाम वृन्दावन में ही यमुना किनारे मचान बनाकर रहने लगे।उन्होंने यहां रहकर असंख्य व्यक्तियों का कल्याण किया।
ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया व महंत रामकृपाल दास चित्रकूटी महाराज ने कहा कि ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा महाराज को ब्रजवासी कृष्ण भक्त अत्यधिक प्रिय थे।वे सदैव प्रत्येक ब्रजवासी में भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करते थे।
संत-सम्मेलन में चतु: सम्प्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, प्रख्यात भजन गायक नंदू भैया,महंत संतोष पुजारी,संत रासबिहारी दास, डॉक्टर हरिप्रसाद द्विवेदी, महंत अभयस्वर प्रपन्नाचार्य, महंत श्यामदास काशी,महंत बालकृष्ण दास,महंत राधाकृष्ण कैलाशी (पालम वाले),महंत लाड़िली दास, डॉक्टर रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, महंत परमानंद दास शास्त्री,आचार्य धर्मवीर शास्त्री,महंत मुनिराज महाराज, महंत रामस्वरूप दास, महंत जगन्नाथ दास, महंत जयराम दास, महंत कृष्णा दासी,स्वामी नरेंद्रानंद महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
संचालन डॉक्टर गोपाल चतुर्वेदी और महंत शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर महामंडलेश्वरों, श्रीमहंतों, महंतों और विद्वानों आदि का सम्मान किया गया।भंडारा भी हुआ।
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