अतुल सुभाष की मां ने मांगी पोते की कस्टडी, सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्य सरकारों को दिया नोटिस
इंजीनियर अतुल सुभाष ने बेंगलुरु में 9 दिसंबर को खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने 23 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था। उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास, साले और उनके मामले की सुनवाई कर रही जज पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। अब अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने पोते व्योम की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
नई दिल्ली (आरएनआई) बेंगलुरु में आईटी पेशेवर अतुल सुभाष के आत्महत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अतुल सुभाष की मां ने अपने चार साल के पोते की कस्टडी देने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है।
इंजीनियर अतुल सुभाष ने बंगलूरू में 9 दिसंबर को खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने 23 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था। अतुल ने आत्महत्या से पहले एक घंटे से ज्यादा समय वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया था। उन्होंने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास, साले और उनके मामले की सुनवाई कर रही जज पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।
अब अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने पोते व्योम की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिजनों ने अब तक यह नहीं बताया है कि बच्चा कहां है? सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। पीठ ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी को तय की गई है।
याचिका में अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने कहा कि व्योम को दादा-दादी के साथ रहने की अनुमति मिलनी चाहिए। निकिता सिंघानिया जेल चली गई है। अब उसके साथ अतुल का बेटा असुरक्षित है। सिंघानिया परिवार ने बच्चे को खोजने के प्रयासों में बाधा डाली है। सुभाष के पिता पवन कुमार ने भी बच्चे की कस्टडी की मांग की है।
उन्होंने भी आरोप लगाया कि निकिता और उसके परिवार ने झूठे कानूनी मामलों में अतुल को फंसाकर पैसे की मांग की और परेशान किया। हमने न्याय मिलने तक सुभाष की अस्थियों को विसर्जित न करने की कसम खाई है। अतुल सुभाष के भाई विकास ने कहा कि घटना के पीछे जो लोग हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जब तक सभी झूठे मामले वापस नहीं लिए जाते, हमें न्याय नहीं मिलेगा।
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