अजित पवार के बाद अब सुप्रिया सुले का छलका दर्द
सुले ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि बारामती सीट के लिए चुनाव मेरे लिए भावनात्मक रूप से तकलीफदेह था, क्योंकि संबंध खून से बढ़कर होते हैं। सत्ता और पैसा आते-जाते हैं। लेकिन संबंध मायने रखते हैं।
मुंबई (आरएनआई)राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने बुधवार लोकसभा चुनाव में बारामती सीट पर अपने चचेरे भाई अजित पवार की पत्नी के साथ अपनी लड़ाई को भावनात्मक रूप से तकलीफदेह बताया। उन्होंने कहा कि वह संबंधों को सत्ता और पैसे से कहीं ऊपर मानती हैं।
सुले ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा, "बारामती के लिए चुनाव मेरे लिए भावनात्मक रूप से तकलीफदेह थे, क्योंकि संबंध खून से बढ़कर होते हैं। सत्ता और पैसा आते-जाते हैं। लेकिन संबंध मायने रखते हैं।
बारामती से सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पिता शरद पवार ने उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना, क्योंकि अजित पवार की बगावत के बाद राकांपा विभाजित हो गई। सांसद ने कहा कि उनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं है और 98 फीदी परिवार के सदस्य उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह विरासत के मुद्दे पर आलोचकों से बहस के लिए तैयार हैं।
हाल के लोकसभा चुनावों में राकांपा ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को सुप्रिया सुले के खिलाफ उतारा गया था। जिसमें सुले ने सुनेत्रा को 1.58 लाख मतों के अंतर से हरा दिया था। सुले ने कहा, मैंने शरद पवार के साथ खड़े होने का फैसला किया। चुनाव लड़ना महत्वपूर्ण था, परिणाम नहीं। अजित पवार ने भी कई बार माना है कि उन्होंने अपनी पत्नी को सुले के खिलाफ खड़ा करना एक गलती थी।
बारामती से तीन बार की सांसद सुप्रिया ने कहा कि उनकी पार्टी में बहुत प्रतिभाएं हैं और उनके पिता की विरासत किसी भी योग्य व्यक्ति को मिल सकती है। उन्होंने कहा, लोग तय करेंगे कि इसे आगे कौन बढ़ाएगा। सुले ने कहा कि उन्हें आलोचकों और अजित पवार से भी इस बात पर बहस करने में खुशी होगी कि उनकी वजह से उनका राजनीति में प्रवेश नहीं हुआ।
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