'अगर बैंक का काम भारत से हो सकता है तो करा लें', इंद्राणी के विदेश यात्रा अनुरोध पर कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को सुझाव दिया कि अगर संभव हो तो वह स्पेन और यूके में अपना बैंक संबंधी काम भारत से ही पूरा करें, बजाय इसके कि वह दोनों यूरोपीय देशों की यात्रा करें।

Aug 12, 2024 - 18:00
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'अगर बैंक का काम भारत से हो सकता है तो करा लें', इंद्राणी के विदेश यात्रा अनुरोध पर कोर्ट

मुंबई (आरएनआई) शीना बोरा हत्याकांड की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी विदेश यात्रा की अपील पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बैंक का काम भारत से हो सकता है तो करा लें। न्यायमूर्ति एससी चांडक की एकल पीठ ने कहा कि अगर काम वास्तविक और प्रामाणिक है और इसके लिए इंद्राणी मुखर्जी की स्पेन और यूके में शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता है, तो सीबीआई उन देशों की उनकी यात्रा पर विचार कर सकती है। पीठ ने इंद्राणी मुखर्जी को विदेश यात्रा की अनुमति मांगते समय विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर आवेदन में बताए गए काम के अलावा और कोई काम न जोड़ने के लिए भी आगाह किया।

19 जुलाई को एक विशेष सीबीआई अदालत ने इंद्राणी मुखर्जी को अगले तीन महीनों के लिए बीच-बीच में 10 दिनों के लिए एक बार यूरोप (स्पेन और यूके) की यात्रा करने की अनुमति दी थी। उन्होंने पीटर मुखर्जी से तलाक के बाद दावा करते हुए यात्रा की अनुमति मांगी थी कि उन्हें बैंक से जुड़े कुछ दस्तावेजों और अन्य सहायक कार्यों में बदलाव करने की जरूरत है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। वहीं पिछले महीने उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 

सोमवार को सीबीआई के अधिवक्ता श्रीराम शिरसाट ने अदालत को बताया कि एजेंसी ने ब्रिटेन और स्पेन के बैंकों से पुष्टि की है और इंद्राणी मुखर्जी को जो भुगतान करने की जरूरत है, वह ऑनलाइन किया जा सकता है और इसलिए उन्हें यात्रा करने की जरूरत नहीं है। हालांकि इंद्राणी मुखर्जी के अधिवक्ता रंजीत सांगले ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन भुगतान करने से पहले स्पेन में अपने बंद पड़े बैंक खातों को चालू करना होगा। सांगले ने इंद्राणी मुखर्जी की तरफ से स्पेन के दूतावास को लिखे गए पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने उस काम का जिक्र किया था, जो उन्हें करना था। 

न्यायमूर्ति चांडक ने कहा कि पत्र में देश में एक आवासीय परिसर में मरम्मत कार्य का भी जिक्र किया गया है। न्यायमूर्ति चांडक ने कहा, आपने अतिरिक्त काम पैदा किया है। विशेष अदालत के समक्ष दायर आवेदन में इसका जिक्र नहीं किया गया था। इससे संदेह पैदा होता है और हम हैरान हैं...प्रथम दृष्टया, ऐसा आचरण आपके खिलाफ काम करेगा। वहीं पीठ ने मामले की सुनवाई 27 अगस्त तक स्थगित कर दी और इंद्राणी मुखर्जी और सीबीआई दोनों से ब्रिटेन और स्पेन में किए जाने वाले कामों की सूची मांगी और पूछा कि क्या भारत से भी यही काम किया जा सकता है।

अदालत ने कहा, अगर काम यहीं से हो सकता है, तो करवाएं। मैं दोनों पक्षों से कह रहा हूं। जब काम वास्तविक और प्रामाणिक हो, अगर सुरक्षा कोई मुद्दा नहीं है, तो उसे होने दें। पीठ ने विशेष अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक 27 अगस्त तक बढ़ा दी। विशेष अदालत ने अनुमति देते हुए मुखर्जी पर कुछ शर्तें भी रखीं। अदालत ने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान उन्हें कम से कम एक बार भारतीय दूतावास या उसके संबद्ध राजनयिक मिशन के कार्यालय में उपस्थित होना होगा और उपस्थिति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। अदालत ने मुखर्जी को 2 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का भी निर्देश दिया।

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया कि कानून के अनुसार, राज्य में किसी भी जेल में एकांत कारावास की व्यवस्था नहीं है, लेकिन जघन्य अपराधों के दोषियों को अलग रखा जाता है। लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ को बताया कि बम विस्फोट जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है। न्यायालय 2010 के पुणे विस्फोट मामले में दोषी हिमायत बेग की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने दावा किया था कि वह पिछले 12 वर्षों से नासिक केंद्रीय कारागार में एकांत कारावास में है और उसने स्थानांतरित करने की मांग की है।

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