'अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत में निवेश चाहता है जर्मनी', गांधीनगर में बोलीं जर्मन मंत्री शुल्ज
जर्मन मंत्री स्वेन्जा शुल्ज ने गांधीनगर में आयोजित तीन दिवसीय अक्षय ऊर्जा-केंद्रित कार्यक्रम री-इन्वेस्ट 2024 में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी जानकारी के साथ, हम भारत में निवेश करना चाहते हैं, जिससे भारत अपने 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा।'
गांधीनगर (आरएनआई) जर्मनी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में निवेश करना चाहता है। जर्मनी की आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री स्वेन्जा शुल्ज ने इस बारे में पुष्टि की है। जर्मन मंत्री शुल्ज ने कहा कि जर्मनी के पास अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी जानकारी और अनुभव है और वह भारत में निवेश करना चाहता है।
जर्मन मंत्री स्वेन्जा शुल्ज ने गांधीनगर में आयोजित तीन दिवसीय अक्षय ऊर्जा-केंद्रित कार्यक्रम री-इन्वेस्ट 2024 में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी जानकारी के साथ, हम भारत में निवेश करना चाहते हैं, जिससे भारत अपने 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा।' उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना दोनों देशों के हित में है।
2021 में आयोजित सीओपी26 में, भारत ने महत्वाकांक्षी 'पंचामृत' प्रतिज्ञा के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। इनमें 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता तक पहुंचना, अक्षय ऊर्जा से सभी ऊर्जा आवश्यकताओं का आधा उत्पादन करना, 20230 तक उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी करना शामिल है। भारत का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना भी शामिल है। इसके अलावा, भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
कार्यक्रम के दौरान, जर्मन मंत्री शुल्ज ने कहा कि वह जर्मनी और भारत के बीच साझेदारी को गहरा करने के लिए एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत में हैं। उन्होंने कहा, 'हम अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहते हैं। हम मानते हैं कि दुनिया की बड़ी चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन को हम हल नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें भारत से अक्षय ऊर्जा में अपनी भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।'
जर्मन मंत्री ने कहा, भारत और जर्मनी ने आज भारत और वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा में निवेश में तेजी लाने के लिए एक संयुक्त मंच भारत-जर्मनी मंच शुरू किया है। यह दोनों देशों के बीच संयुक्त हरित और सतत विकास भागीदारी (जीएसडीपी) के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मंच है, क्योंकि भारत और जर्मनी आश्वस्त हैं कि हमें अक्षय ऊर्जा को आगे बढ़ाना चाहिए।
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