'RAF ने हूती विद्रोहियों के ठिकानों को किया तबाह' : ब्रिटेन पीएम ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ने कहा कि हूती विद्रोहियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बार-बार चेतावनी के बावजूद लाल सागर में हमले जारी रखे। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यूनाइटेड किंगडम हमेशा अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए खड़ा रहेगा।
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लंदन (आरएनआई) अमेरिका और ब्रिटेन ने हाल ही में लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। दरअसल, दोनों देशों की सेनाओं ने यमन में कई जगहों पर हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमला किया है। इन हवाई हमलों में विद्रोहियों के कई ठिकाने तबाह हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर हमले की पुष्टि की है।
रॉयल एयर फोर्स ने अपनी आत्मरक्षा के लिए जरूरी, सीमीत और बराबर की कार्रवाई की है। वायुसेना ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन हमेशा समुद्री व्यापारिक मार्गों की स्वतंत्रता के लिए खड़ा है। वह कर्मियों पर हमला बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके साथ ही, समुद्री व्यापारिक मार्गों की स्वतंत्रता को खतरे में डालने की अनुमति किसी को नहीं देगा।
ब्रिटेन के पीएम ने आगे कहा कि हूती विद्रोहियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बार-बार चेतावनी के बावजूद लाल सागर में हमले जारी रखे। उन्होंने कहा, 'यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यूनाइटेड किंगडम हमेशा नेविगेशन की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए खड़ा रहेगा। इसलिए हमने हूती विद्रोहियों की ताकत को कम करने के लिए नीदरलैंड, कनाडा, बहरीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर आज आत्मरक्षा में सीमित, आवश्यक और बराबर की कार्रवाई की है।
सुनक का यह बयान तब आया, जब आज बड़े स्तर पर हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले किए गए। इस हमले का ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड भी समर्थन कर रहा है।
ऋषि सुनक ने कहा, 'हूती हमले को रोकने के लिए ऑपरेशन प्रोसपैरिटी गार्जियन के रूप में हम लाल सागर में गश्त जारी रखेंगे।' इसके अलावा उन्होंने हूती विद्रोहियों से अपने हमले बंद करने और तनाव कम करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने कहा, 'रॉयल एयर फोर्स टाइफून की चार टीमों ने अमेरिकी बलों के साथ दो हूती ठिकानों पर हमले किए। लोगों के जीवन और वैश्विक व्यापार के लिए खतरा इतना बढ़ गया था कि यह कार्रवाई न केवल जरूरी थी, बल्कि जहाजों और नेविगेशन की स्वतंत्रता की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
अमेरिका ने व्यापारिक जहाजों को हूती विद्रोहियों के हमलों से बचाने के लिए 20 से ज्यादा देशों के साथ मिलकर 'ऑपरेशन प्रोसपैरिटी गार्जियन' शुरू किया था। बीते हफ्ते 13 सहयोगी देशों के साथ हमने हूती विद्रोहियों को चेतावनी जारी की थी और कहा था कि अगर उन्होंने व्यापारिक जहाजों पर हमले बंद नहीं किए तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। आज हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले साफ संदेश है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश दुनिया के सबसे अहम शिपिंग कर्मशियल रूट पर नेविगेशन की आजादी से समझौता नहीं करेंगे।
इस्राइल हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोहियों द्वारा फलस्तीनियों के समर्थन में लाल सागर इलाके में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा था। इससे अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा प्रभावित हो रही थी। अमेरिका की नौसेना ने कई बार हूती विद्रोहियों के हमलों के नाकाम भी किया था। अमेरिका सहित 13 देशों ने चेतावनी भी दी थी कि अगर हमले नहीं रुके तो इसके बड़े दुष्परिणाम होंगे। अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए निगरानी भी बढ़ा दी थी। भारत ने भी अपने पांच युद्धक जहाजों को अरब सागर और लाल सागर में तैनात किया है, ताकि हूती विद्रोहियों और समुद्री लुटेरों के हमलों को नाकाम किया जा सके।
हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थित माना जाता है। इस्राइल हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोही लाल सागर और अरब सागर के इलाके में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट से गुजरने वाले जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले कर रहे थे। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट बाधित हो रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हूती विद्रोहियों के हमले के चलते बीते कुछ महीनों में लाल सागर से करीब 200 अरब डॉलर का व्यापार डायवर्ट हुआ है। इससे दुनिया में महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि अमेरिका के हवाई हमले के बाद पहले ही इस्राइल हमास युद्ध के चलते तनाव से जूझ रहे पश्चिम एशिया में अब और तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।
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