PM ट्रूडो का बिना ठोस सबूत के आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण
ट्रूडो द्वारा जून में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों को जोड़ने के आरोप के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई।
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वाशिंगटन, (आरएनआई) आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच, यूएसआईएसपीएफ ने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा पिछले महीने भारत पर बिना किसी ठोस सबूत के आरोप लगाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
ट्रूडो द्वारा जून में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों को जोड़ने के आरोप के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कनाडा में भारतीय राजनयिकों और परिसरों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई।
यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश अघी ने शुक्रवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ट्रूडो ने बिना किसी ठोस सबूत के भारत पर आरोप लगाए। इससे दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए। उन्होंने कहा, 'दोनों देशों के बीच संबंध बहुत पुराने हैं। दोनों के बीच एक बड़ा व्यापार है। 230,000 से अधिक भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे हैं। कनाडा ने भारत में करीब 55 अरब डॉलर का निवेश किया है। इन सबके के बीच, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कनाडा के प्रधानमंत्री संसद में जाते हैं और बिना किसी सबूत दिए आरोप लगा देते हैं।
मुझे लगता है कि दिमागदार लोगों को शांति से बात करके स्थिति संभालने की जरूरत है। क्योंकि कनाडा भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका का लाभ उठाने जा रहा है।
एक सवाल के जवाब में अघी ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध भूराजनीतिक हैं। यह आर्थिक मुद्दों और भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों से जुड़ा हुआ है। कनाडा और भारत के बीच राजनयिक विवाद का असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ेगा। आने वाले समय में संबंध गहरे और व्यापक होते रहेंगे।
कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोप घरेलू राजनीति और अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए सिख प्रभुत्व वाली पार्टी पर उनकी निर्भरता से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे दो कारण है। एक घरेलू राजनीति दूसरा दोनों देशों के पीएम के बीच बातचीत अच्छी नहीं रही।
प्रधानमंत्री ट्रूडो का समर्थन करने वाली एनडीपी सिख बहुल पार्टी है। यह दुख की बात है क्योंकि घरेलू राजनीति को आगे बढ़ाने से पहले हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना चाहिए। दूसरा फैक्टर यह है कि पीएम ट्रूडो और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच दूसरी बार हुई बातचीत बहुत गर्मजोशी भरी नहीं रही। ऐसा लगता है कि ट्रूडो इससे नाराज थे और यह बात संसद में उनके बयान से साफ है।
भारत एक उभरती हुई शक्ति है, अगर वह एक महान शक्ति बनना चाहता है, तो उसे एक जिम्मेदार शक्ति बनना होगा। जहां तक बाजार की बात है, भू-राजनीति की बात करें तो भारत का महत्व और अधिक मजबूत होगा। अघी ने कहा, 'हमें समझना होगा कि राष्ट्रों को अपने हितों की रक्षा करनी होगी।
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