PdS में गड़बड़ी कहां किस स्तर पर हैं उसे पकड़ने चले अभियान
गुना (आरएनआई) जब गरीबों को सरकारी चावल गेहूं चाहिए ही नहीं, तो फिर सरकार उन्हें कंट्रोल के जरिए बांटती ही क्यों है। सीधे उनके अकाउंट में पैसे ही डाल दे।
खबर है कि चांचौड़ा एसडीएम रवि मालवीय के निर्देशन में गाड़ी क्रमांक एमपी 08 जीए 2273 में भरा पीडीएस का चावल जप्त किया गया है। ड्राइवर भाग गया है। गाड़ी में भरा 80 कट्टे कंट्रोल का चावल जिसका कुल 52.35 क्विंटल है, गाड़ी सहित जब्त कर पुलिस चौकी बीनागंज की सुपुर्दगी में रखा गया है।
सवाल ये है कि चावल आया कहां से। क्योंकि यदि ये चावल बांटा नहीं जाता, या हितग्राहियों के हिस्से का होता तो अभी तक सारे हितग्राही किसी गली मोहल्ले के नेता की अगुवाई में और जो वर्तमान कंट्रोल संचालक से दुकान छोड़ने के अवसर की तलाश में होंगे वो 25 शिकायतें कर चुके होते।
तो फिर ये चावल आया कहां से? व्यवहारिक तौर पर देखा गया है कि इस तरह कंट्रोल के गेहूं या चावल दो स्थितियों में ही बचते हैं।
पहली आशंका यह कि संबंधित कंट्रोल क्षेत्र में बोगस राशन कार्ड हैं, जिन पर आवंटित राशन की कालाबाजारी की जा रही होगी।
दूसरी आशंका है कि हितग्राही अपने राशन कार्ड पर आवंटित चावल गेहूं लेने के स्थान पर कंट्रोल संचालक से नगद पैसे ले जाते हों, यानी एक तरह से उसे ही बेच जाते हों। इसलिए वो शिकायत नहीं करते।
दूसरी स्थिति होने की संभावना अधिक है। यह कंट्रोल पर होना आम बात है। क्रीमी लेयर के गरीब जो कंट्रोल के गेहूं चावल नहीं खाना चाहते वो तथा मानसिक रूप से गरीब जिन पर ट्रेक्टर, बुलेट, गाड़ियां और संसाधन खेतीबाड़ी, धंधे होने के बाद भी राशनकार्ड हैं ऐसे गरीब भी कंट्रोल संचालक से अनाज के एवज में नगद पैसे ही लेते हैं।
अब आप बताइए कि गड़बड़ी कहां है। यदि राशन कार्ड बोगस हैं तो जांच होना चाहिए। और यदि कंट्रोल संचालक जिन राशनकार्ड धारियों को नगद पैसे दे चुका वो उनके हिस्से का अनाज बेचकर पैसे खड़े करेगा या नहीं।
हल ये है कि गरीबों को राशन बांटने के बजाए नगद पैसे उनके खातों में डाल दिए जाएं। ताकि हर साल देश भर में होने वाला पीडीएस राशन घोटाला बंद हो सके।
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