IAS कोचिंग सेंटर हादसा: क्या लापरवाही-भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही लोगों की जान?
इस तरह की अनेक घटनाएं दिल्ली में पहले भी घट चुकी हैं। दिल्ली की अनाज मंडी में एक फैक्ट्री में आग लगने से लगभग 43 श्रमिकों की मौत दम घुटने से हो गई थी। करोल बाग के ही एक होटल में आग लगने से 17 नागरिकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। विवेक विहार के एक नर्सिंग होम में आग लगने की एक घटना में सात नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) 27 जुलाई शनिवार की शाम दिल्ली ही नहीं पूरे देश के लिए एक अनहोनी लेकर सामने आई। राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर की लाइब्रेरी में अचानक भारी मात्रा में पानी भर जाने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। कुछ ही देर में यह समाचार पूरी मीडिया की सुर्खियों में आ गया। पूरे देश से अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा जानने के लिए परेशान हो गए। लोग बार-बार फोन कर अपने बच्चों के बारे में पता करने लगे।
पहली नजर में यह लगता है कि दिल्ली में हुई भारी बारिश से पानी तेजी से बेसमेंट में घुसने लगा। बच्चों को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला और वे इसकी चपेट में आ गए, लेकिन घटना के बाद बच्चों ने जो जानकारी दी है, उससे साफ पता चलता है कि इस मामले में गंभीर लापरवाही हुई है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा है। इस मामले में नगर निगम की सफाई व्यवस्था बुरी तरह घेरे में आ गई है। यदि नालों की सही से सफाई हुई होती तो संभवतः इस दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था।
छात्रों ने बताया है कि बारिश होने के बाद बेसमेंट में लगातार पानी भर जाता था, कोचिंग को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता था। इसको ठीक कराने के लिए छात्रों ने पूर्व में कई बार कोचिंग संचालकों को बताया था, लेकिन कई बार कहने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः इस लापरवाही की कीमत तीन बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
लोगों को इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि जब पानी भर रहा था, सीढ़ी बनी हुई लाइब्रेरी से बच्चे बाहर क्यों नहीं निकल पाए? छात्रों ने ही इसका कारण भी बताया है। छात्रों के अनुसार, एक ही निकास द्वार होने के कारण अचानक बाहर निकलने में बच्चों में भगदड़ सी मच गई थी। पानी तेजी से आ रहा था, लेकिन पानी इतना गंदा और बदबूदार था कि बच्चों को उसमें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कहा जा रहा है कि नाले की एक दीवार के टूट जाने से नाले का गंदा पानी भी बहुत तेजी से कोचिंग के बेसमेंट में घुसने लगा जिससे स्थिति बेहद बुरी हो गई और बच्चे फंस गए।
राजेश भाटिया ने कहा कि इस तरह के कई मामले पहले भी सुर्खियों में आए हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में भ्रष्टाचार और लापरवाही सबसे बड़ा कारण होती है। किसी घटना के बाद आरोपियों पर गंभीर कार्रवाई न होने के कारण इसी तरह का भ्रष्टाचार चलता रहता है और लोगों की जान जाती रहती है। उन्होंने कहा कि इन मामलों पर उच्च अदालतों को स्वतः संज्ञान लेकर दोषियों को कड़ा दंड देना चाहिए, तभी इस तरह की स्थिति पर लगाम लगेगी।
इस तरह की अनेक घटनाएं दिल्ली में पहले भी घट चुकी हैं। दिल्ली की अनाज मंडी में एक फैक्ट्री में आग लगने से लगभग 43 श्रमिकों की मौत दम घुटने से हो गई थी। पता चला था कि फैक्ट्री से बाहर निकलने का कोई वैकल्पिक रास्ता ही नहीं था। करोल बाग के ही एक होटल में आग लगने से 17 नागरिकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। कोई वैकल्पिक मार्ग न होने से सभी लोग आग में फंस गए। विवेक विहार के एक नर्सिंग होम को केवल पांच बच्चों के नर्सिंग होम चलाने का लाइसेंस मिला था, लेकिन अप्रशिक्षित लोगों के द्वारा वहां एक दर्जन बच्चों की देखरेख की जा रही थी। अंततः 25 मई 2024 को आग लगने की एक घटना में सात नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई।
हर दुर्घटना में लापरवाही और भ्रष्टाचार का घातक घालमेल निर्दोष लोगों को जान ले रहा है। लेकिन न लापरवाही पर लगाम लग रही है, न भ्रष्टाचार पर, और इसलिए इस तरह की घटनाएं अब भी लगातार घट रही हैं। लगातार कुछ दिनों के अंतराल पर घट रही इस तरह की घटनाओं में लोगों की जान जा रही है। राजेश भाटिया का कहना है, यह दुर्घटना नहीं, भयानक लापरवाही है, इसके लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए। उनका वाजिब सवाल है, कोचिंग सेंटर में किसी आपात स्थिति में निकलने के लिए कोई वैकल्पिक रास्ता क्यों नहीं था? इसका जवाब दिए बिना इस तरह की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।
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