दिल्ली, पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने पराली जलाने पर जिम्मेदारी ली, अगली सर्दियों तक इसे रोकने का वादा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीमावर्ती राज्य में पराली जलाने की जिम्मेदारी ली और राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बीच अगली सर्दियों तक इस चलन पर रोक लगाने का वादा किया।

Nov 4, 2022 - 23:30
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दिल्ली, पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने पराली जलाने पर जिम्मेदारी ली, अगली सर्दियों तक इसे रोकने का वादा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान

नयी दिल्ली, 4 नवंबर 2022, (आरएनआई)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीमावर्ती राज्य में पराली जलाने की जिम्मेदारी ली और राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बीच अगली सर्दियों तक इस चलन पर रोक लगाने का वादा किया।

केजरीवाल ने कहा कि सर्दियों में वायु प्रदूषण ‘‘दिल्ली केंद्रित समस्या’’ नहीं है बल्कि इसने पूरे उत्तर भारत को प्रभावित किया है और इस मुद्दे पर कोई दोषारोपण तथा राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने केंद्र से पराली जलाने पर रोक के लिए कदम उठाने का भी आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि अकेले किसानों को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

मुख्य रूप से प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों और पंजाब में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली में धुंध की मोटी परत छायी रही और वायु गुणवत्ता लगातार दूसरे दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में रही। दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दोपहर दो बजे 445 रहा। 400 से ऊपर का एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है जो स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और पहले से बीमार लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

केजरीवाल ने मान के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पंजाब में हमारी (आम आदमी पार्टी) सरकार है और अगर वहां पराली जलाई जा रही है तो हम जिम्मेदार हैं। हम पंजाब में पराली जलाने की जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।’’

केजरीवाल ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं लेकिन इसके लिए किसान जिम्मेदार नहीं हैं। किसानों को समाधान चाहिए, जिस दिन समाधान होगा वे पराली जलाना बंद कर देंगे।’’

मान ने कहा कि पंजाब की आप नीत सरकार के पास समस्या के समाधान के लिए कुछ ही महीने थे। उन्होंने वादा किया कि अगले नवंबर तक इस मुद्दे का निराकरण हो जाएगा। केजरीवाल ने कहा कि यह अकेले दिल्ली की समस्या नहीं है और पूरा उत्तर भारत प्रदूषण से जूझ रहा है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहरों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘जाहिर है, इसके लिए सिर्फ दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी या केजरीवाल या (आप नीत) सरकारें जिम्मेदार नहीं हैं। स्थानीय और क्षेत्रीय सहित कई कारण हैं।’’

केजरीवाल ने केंद्र से आगे आने और उत्तर भारत को प्रदूषण से बचाने के लिए विशेष कदम उठाने का भी आग्रह किया। दिल्ली मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पंजाब और दिल्ली में हमारी सरकारें हैं। यह उंगली उठाने, दोषारोपण का समय नहीं है। यह इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति का समय नहीं है। इससे कोई समाधान नहीं मिलता और लोगों को समाधान की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर अधिक है, जिसके लिए पराली जलाने को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।’’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘इस मुद्दे को हल करने के लिए मुख्यमंत्रियों की संयुक्त बैठक और विशेषज्ञों की राय लेने सहित कई चीजों की आवश्यकता है।’’

केजरीवाल ने कहा कि पंजाब के किसानों के साथ कई विशेष और सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम इसमें कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं चाहते। अगर पंजाब में पराली जल रही है तो इसके लिए हम जिम्मेदार हैं और इसके लिए हमारी सरकार जिम्मेदार है।’’

हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ केजरीवाल को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराने और उन्हें गाली देने से प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह केवल रचनात्मक दृष्टिकोण और साथ काम करने से ही हल होगा।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘पंजाब में आप नीत सरकार को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सिर्फ छह महीने का समय मिला। हमें समस्या को हल करने के लिए और एक साल की जरूरत है। हम पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी सुनिश्चित करने के लिए पराली प्रबंधन और फसल विविधीकरण सहित सब कुछ करेंगे।’’

मान ने कहा कि पंजाब के किसान पराली नहीं जलाना चाहते क्योंकि इससे उन पर और उनके बच्चों पर भी असर पड़ा है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की फसल काटने और गेहूं की फसल बोने के बीच 10-12 दिन होते हैं और किसानों के पास सिर्फ माचिस की तीली होती है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने खेतों में पराली के प्रबंधन के लिए 1.20 लाख मशीन लगाई हैं और एक ऐप भी विकसित किया गया है।

उत्तरी राज्यों में धान की बंपर पैदावार का जिक्र करते हुए मान ने कहा, ‘‘फिर भी अगर पंजाब में पराली जल रही है तो हम इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। हम जिम्मेदारी से नहीं भाग रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कदम उठाने के लिए कम समय मिलने के बावजूद, पंजाब सरकार ने 47,000 एकड़ की पराली के इस्तेमाल के लिए भारत का पहला जैव ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है।

मान ने कहा कि पंजाब में 75 लाख एकड़ में धान बोया जाता है। उन्होंने कहा कि पराली को बिजली और संपीड़ित प्राकृतिक गैस में बदलने के लिए ऐसे करोड़ों संयंत्रों की जरूरत होगी। मान ने कहा, ‘‘पंजाब में खेत बहुत उपजाऊ हैं और हम फसल विविधीकरण को बढ़ावा देंगे। हम पराली जलाने को रोकने के लिए काम कर रहे हैं। वर्तमान में, धान की फसल के तहत 40 लाख एकड़ में पराली जला दी जाती है और हम किसानों को इससे दूर करने की कोशिश करेंगे तथा उन्हें अन्य फसल बोने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’’

मान ने केंद्र से इस समस्या के समाधान के लिए उत्तरी राज्यों के साथ बैठक करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में समाधान खोजने का आश्वासन देता हूं और जिम्मेदारी लेता हूं।’’

मान ने कहा कि पंजाब सरकार ने केंद्र को दो प्रस्ताव भेजे थे। पराली नहीं जलाने के लिए मुआवजा के तौर पर प्रत्येक किसान के वास्ते पंजाब और दिल्ली को 500-500 रुपये और केंद्र को 1,500 रुपये का योगदान देना था। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि हालांकि, केंद्र ने इसे खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि दूसरा प्रस्ताव बिजली और बायोगैस के उत्पादन के लिए पराली प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने का था, लेकिन केंद्र ने अभी तक अनुमति नहीं दी है। मान यह भी कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ मामला दर्ज करना कोई समाधान नहीं है।

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