‘BJP के राम मंदिर एजेंडे से हमें डर था पर अयोध्या के लोगों ने सबक सिखाया’ : शरद पवार
एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि भाजपा ने मंदिर के नाम पर वोट मांगा। हम इससे डरे हुए थे लेकिन अयोध्या के लोगों ने दिखा दिया कि मंदिर की राजनीति को कैसे ठीक किया जाता है। पिछले 10 साल में सत्ताधारी लोगों को घमंड हो गया था लेकिन अयोध्या के लोगों ने उन्हें वापस जमीन पर ला दिया।
मुंबई (आरएनआई) अयोध्या के लोगों ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को झटका देकर साबित कर दिया कि मंदिर की राजनीति को कैसे ठीक किया जा सकता है। यह कहना है कि एनसीपी नेता शरद पवार का। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछली बार 300 से अधिक सीटें जीती थी पर इस बार उन्हें 240 सीटें मिली। भाजपा को इस बार बहुमत भी नहीं मिल पाया। भाजपा को सबसे ज्यादा झटका उत्तर प्रदेश से मिला। वहां के लोगों ने चुनावों में अलग फैसला किया है।
पवार मंगलवार को बारामती में व्यापारियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि इस बार राम मंदिर एक बड़ा चुनावी एजेंडा होगा। सत्तारूढ़ दल को अधिक वोट मिलेंगे लेकिन हमारे देश के लोग काफी समझदार हैं। उन्हें लगा कि मंदिर के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं तो उन्होंने पार्टी को सबक सिखा दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बता दें, अयोध्या फैजाबाद लोकसभा सीट के अंदर आता है। यहां से भाजपा उम्मीदवार और दो बार के सांसद लल्लू सिंह को सपा के अवधेश प्रसाद ने 54,567 वोटों से मात दी।
पवार ने आगे कहा कि भाजपा ने मंदिर के नाम पर वोट मांगा। हम इससे डरे हुए थे लेकिन अयोध्या के लोगों ने दिखा दिया कि मंदिर की राजनीति को कैसे ठीक किया जाता है। पिछले 10 साल में सत्ताधारी लोगों को घमंड हो गया था लेकिन अयोध्या के लोगों ने उन्हें वापस जमीन पर ला दिया।
उत्तर प्रदेश से भाजपा को इस बार काफी तगड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा अबकी बार मात्र 33 सीट ही जीत सकी। समाजवादी पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्म किया। सपा ने राज्य की सबसे अधिक अधिक 37 सीटों पर जीत दर्ज की और सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई। पिछले दस साल के मुकाबले कांग्रेस ने इस बार काफी अच्छा प्रदर्शन किया। 2019 में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार छह सीटें जीत गई। हालांकि, 2019 में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार राज्य में खाता तक नहीं खोल सकी। बता दें, इस बार कांग्रेस और सपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
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