RBI का एक्शन, इस बैंक पर लगा ताला, लाइसेंस हुआ रद्द, बैंकिंग कारोबार की अनुमति नहीं, ग्राहकों पर भी पड़ेगा असर
मुंबई (आरएनआई) रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित द सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस लाइसेंस रद्द कर दिया है। 19 जून से बैंक को बैंकिंग व्यवसाय बंद करने के आदेश भी जारी किए गए हैं। बैंक न तो जमा स्वीकार कर सकता है, न ही जमा की चुकौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक इस संबंध में महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियां के रजिस्ट्रार से भी परिसमापक नियुक्ति करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया है।
क्या है वजह?
दरअसल, बैंक के खिलाफ प्राप्त पूंजी और कमाई की संभावना न होने के कारण आरबीआई ने यह कदम उठाया है। ऐसे में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ-साथ धारा 11(1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का उल्लंघन होता है। साथ ही धारा 22(3) (बी), 22 (3) (सी) और 22(3)(ई) की आवश्यकताओं का अनुपालन करने में भी बैंक विफल रहा।
बैंक का चालू रखना हानिकारक-आरबीआई
आरबीआई के मुताबिक बैंक का चालू रहना इसके जमाकर्ताओं के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बैंक अपनी वर्तमान स्थिति के साथ वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्णभुगतान करने में भी असमर्थ है। ऐसे में यदि व्यवसाय को चालू रखने की अनुमति दी जाती है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव जनता पर पड़ेगा।
ग्राहकों निकाल पाएंगे इतने पैसे
बैंक के लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप ग्राहक सीमित मात्रा में अपनी जमा राशि की बीमा राशि क्लेम कर सकते हैं। डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 के प्रावधानों के तहत प्रत्येक जमाकर्ता बीमा और गारंटी निगम से 5 लाख रुपए की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमा राशि की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार है। बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के मुताबिक 87% जमाकर्ता अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के योग्य हैं।
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