OTT और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लगाम के लिए स्वायत्त संस्था के गठन की मांग; सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
याचिका वकील शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सीरीज में जो कुछ दिखाया गया है, वह इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास है। यह वास्तविक अपहरणकर्ताओं के आतंकी कृत्य को कमतर दिखाने और उनका महिमामंडन करने का एक घिनौना प्रयास है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) और अन्य प्लेटफॉर्म पर लगाम के लिए स्वायत्त संस्था के गठन की मांग की गई है। याचिका में विषय सामग्री की निगरानी और नियमन के लिए एक स्वायत्त इकाई गठित करने के सिलसिले में केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।
जनहित याचिका में ‘नेटफ्लिक्स’ की वेब सीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' का जिक्र किया गया है। 'ओटीटी प्लेटफॉर्म' का दावा है कि यह सीरीज वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है। इस पर काफी विवाद चल रही है और सीरीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है।
याचिका वकील शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सीरीज में जो कुछ दिखाया गया है, वह इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास है। यह वास्तविक अपहरणकर्ताओं के आतंकी कृत्य को कमतर दिखाने और उनका महिमामंडन करने का एक घिनौना प्रयास है।
याचिका में कहा गया है कि आईसी 814 की त्रासदी को एक हास्यास्पद कहानी में बदल कर उस आतंकी एजेंडे को बढ़ावा देने का प्रयास किया है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद की क्रूरता पर परदा डालना और हिंदू समुदाय को बदनाम करना है। इसमें कहा गया है कि एक वैधानिक फिल्म प्रमाणन संस्था केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) पहले से मौजूद है, जिसे सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
याचिका के अनुसार, सिनेमैटोग्राफ कानून सार्वजनिक स्थानों पर दिखाई जाने वाली व्यावसायिक फिल्मों के लिए सख्त प्रमाणन प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करता है। हालांकि, ओटीटी सामग्री की निगरानी या विनियमन के लिए ऐसी कोई संस्था उपलब्ध नहीं है। उनके लिए केवल स्व-नियमन का दिशा-निर्देश है।
याचिकाकर्ताओं ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, रक्षा मंत्रालय तथा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को याचिका में पक्षकार बनाया है। शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है कि वह केंद्र को दर्शकों के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों पर वीडियो की निगरानी और विनियमित करने के लिए 'ऑनलाइन वीडियो सामग्री के विनियमन और निगरानी के लिए केंद्रीय बोर्ड' नामक एक स्वायत्त संस्था या बोर्ड का गठन करने का निर्देश दे।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?






