NCDC ने राज्यों से कहा- कोरोना से अलग रहेंगे नियम, मंकीपॉक्स के लिए अभी सामूहिक टीकाकरण की जरूरत नहीं
एनसीडीसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि मंकीपॉक्स को लेकर अभी तीन टीका लाइसेंस प्राप्त हैं, जिनमें से एक संशोधित वैक्सीनिया अंकारा-बीएन नामक टीका है जो दो खुराक में दिया जा सकता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) मंकीपॉक्स को लेकर भारत में अभी सामूहिक टीकाकरण की जरूरत नहीं है। इस संक्रमण से बचाव के लिए अभी तक दुनियाभर में तीन तरह के टीके सामने आए हैं, जिन्हें भारत में अनुमति नहीं मिली है। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने राज्यों के लिए जारी सीडी अलर्ट में दी है। इसमें कहा है कि कोरोना महामारी और मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर नियमों में अंतर है। घर में आइसोलेशन से लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों में हल्के लक्षण मिलने तक के प्रोटोकॉल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
एनसीडीसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि मंकीपॉक्स को लेकर अभी तीन टीका लाइसेंस प्राप्त हैं, जिनमें से एक संशोधित वैक्सीनिया अंकारा-बीएन नामक टीका है जो दो खुराक में दिया जा सकता है। इसे अमेरिका, कनाडा और यूरोप में मंजूरी मिली है। इसके अलावा जापान में मंजूर एलसी16-केएमबी और रूस का ऑर्थोपॉक्सवैक टीका मौजूद है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने केवल उन्हीं व्यक्तियों के टीकाकरण की सलाह दी है जो अति जोखिम की श्रेणी में आते हैं, जिनका प्रभावित देशों में व्यवसाय या अन्य कारण के चलते आना जाना लगा रहता है। इसलिए भारत ने टीकाकरण के लिए एडवाइजरी जारी नहीं की है। दरअसल, एम पॉक्स यानी मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो ऑर्थोपॉक्स वायरस की एक प्रजाति के कारण होती है। इस वायरस के दो अलग-अलग समूह हैं जिन्हें क्लैड 1 और क्लैड 2 नाम दिया है।
राज्यों से कहा है कि संक्रमण प्रभावित देशों की यात्रा से वापस लौटने वाले किसी भी उम्र के व्यक्ति को कम से कम 21 दिन तक सतर्क बरतनी चाहिए। जो व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है उसमें आमतौर पर बुखार एक से तीन दिन के भीतर शुरू होकर दो से चार सप्ताह तक रह सकता है। वहीं, 24 घंटे के भीतर मैक्युल्स चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियां और तलवे तक फैलने लगते हैं। 21 दिन तक संक्रमित रोगी के संपर्क में आने वालों की निगरानी भी रखी जाएगी।
देश में अभी 22 लैब सक्रिय एनसीडीसी ने बताया कि देश की 22 लैब में मंकीपॉक्स संक्रमण की जांच सुविधा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने तीन स्वदेशी जांच तकनीकों को अनुमति दी है, जिनके जरिये किट्स का उत्पादन किया जा रहा है। केवल आरटी पीसीआर जांच में पॉजिटिव मिलने पर ही रोगी को संक्रमित माना जा सकता है।
निगरानी में रहने वाले हल्के लक्षण ग्रस्त रोगी को रक्तदान करने की अनुमति नहीं है। इसी तरह अगर कोई स्वास्थ्यकर्मी किसी रोगी के संपर्क में आता है और उसमें गंभीर लक्षण नहीं है तो उसे ड्यूटी छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। वह ड्यूटी के साथ 21 दिन की निगरानी में रह सकता है।
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