9 दिसम्बर को लगेगी लोक अदालत
हाथरस-3 नवम्बर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव ने जानकारी देते हुये बताया है कि उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं प्रभारी जनपद न्यायाधीश, अध्यक्ष, महेन्द्र श्रीवास्तव के आदेशानुसार 9 दिसम्बर दिन शनिवार को प्रातः 10 बजे से जनपद मुख्यालय के साथ ही साथ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधीकरण, हाथरस, स्थायी लोक अदालत, उपभोक्ता फोरम, कलैक्ट्रेट, हाथरस एवं सभी तहसील मुख्यालयों पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जायेगा।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत में विशेष रूप से आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम वाद, बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाएं, पारिवारिक वाद, श्रम वाद, भूमि अधिग्रहण वाद, विद्युत एवं जल बिल विवाद (चोरी से सम्बन्धित विवादों सहित), प्रिलिटिगेशन वैवाहिक विवाद, राजस्व वाद, अन्य सिविल वाद(किराया, सुखाधिकार, व्ययादेश, विशिष्ट अनुतोष वाद) एवं आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित हो सकने वाले समस्त प्रकार के वादों का निस्तारण किया जायेगा। वादकारियों से अपेक्षा है कि अपने न्यायालय में सम्पर्क कर, अपने वादों को लोक अदालत हेतु नियत करायें।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि यातायात सम्बन्धी चालानों को वेबसाइट अबवनतजेण्हवअण्पद के द्वारा ई-पेमंेट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण करा सकते हैं। जनपद हाथरस की समस्त जनता को जानकारी देते हुये बताया कि लोक अदालत के माध्यम से मामलों का शीघ्र निस्तारण हो जाता है, जिसमें समय एंव धन की बचत होती है, लोक अदालत में निस्तारित मामलों की अपील नहीं की जा सकती तथा सिविल मामलों में अदा की गई कोर्ट फीस वापस कर दी जाती है। प्रिलिटीगेशन स्तर पर बैंक मामलों को निस्तारित कराने में ब्याज आदि की छूट प्रदान की जाती है।
इसके अतिरिक्त उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी महिला या पुरूष के वैवाहिक सम्बन्धों में कटुता है अर्थात् कुछ विवाद चल रहा है और भविष्य में मुकदमे बाजी शुरू होने की सम्भावना है तो आप पीड़ित व्यक्ति को तुरंत कार्यालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस अथवा तहसील विधिक सेवा समितियों में स्थापित लीगल एड क्लींनिक में सम्पर्क करने हेतु पराविधिक स्वयं सेवकों के पास भेजें अथवा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के नालसा पोर्टल पर भी आवेदन कर सकते हैं। प्रार्थना पत्र इस कार्यालय में प्राप्त होने पर उनके प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अविलम्ब कार्यवाही की जाएगी। विपक्षी को नोटिस भेजा जाएगा और दोनो पक्षों को मध्यस्थता केंद्र बुलाकर समझौता कराया जाएगा। ‘‘प्रीलिटिगेशन विशेष लोक अदालत’’ में मामले का निस्तारण परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय द्वारा किया जाता है, जो सिविल डिक्री की तरह दोनों पक्षों पर अनिवार्य रूप से बाध्य होता है।
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