82 वर्षीय सीतामणी ने उगाया ढिंगरी मशरूम, इसे खाने से इन बीमारियों में होता है लाभ
किन्नौर जिले की 82 वर्षीय सीतामणी नेगी ने दिल की बीमारी से लड़ने वाली ढिंगरी मशरूम पैदा कर मिसाल पेश की है। ढिंगरी मशरूम से आजीविका में बढ़ोतरी तो होती ही है साथ में ये मशरूम दिल की बीमारियों के अलावा मोटापा कम करने और डायबिटिज के रोगियों के लिए लाभदायक है।
पूह (आरएनआई) किन्नौर जिले की 82 वर्षीय सीतामणी नेगी ने दिल की बीमारी से लड़ने वाली ढिंगरी मशरूम पैदा कर मिसाल पेश की है। ढिंगरी मशरूम से आजीविका में बढ़ोतरी तो होती ही है साथ में ये मशरूम दिल की बीमारियों के अलावा मोटापा कम करने और डायबिटिज के रोगियों के लिए लाभदायक है।
जिला किन्नौर के पूह खंड के लिप्पा गांव की 82 वर्षीय सीतामणी नेगी ने दिल की बीमारी से लड़ने वाली ढिंगरी मशरूम पैदा कर मिसाल पेश की है। दिल की बीमारियों के अलावा मोटापा कम करने और डायबिटिज के रोगियों के लिए ढिंगरी मशरूम लाभदायक है। अपनी आजीविका में बढ़ोतरी के साथ-साथ किन्नौर में सेब की भांति मशरूम से ग्रामीणों की आर्थिकी मजबूत होगी। मशरूम लेडी रूप रश्मि साना ने कहा कि पिछले साल उन्होंने इस महिला को मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दिया था। अभी तक महिला ने दो बार मशरूम उगाकर अपने गांव लिप्पा के मंदिरों, गांव के गरीब परिवारों, रिश्तेदारों को नि:शुल्क वितरित की है। सर्दियों के लिए सूखाकर रखती हैं और अपने घर पर आए मेहमानों को भी ढिंगरी मशरूम बनाकर परोसती हैं।
25 साल पहले सीतामणी नेगी के पति तंजिन प्रेमी का देहांत हो गया था। घर में तीन लड़के और 3 लड़कियां हैं। एक लड़का तो विदेश में है और दूसरा लामा बन गया है। वहीं दो लड़कियों की शादी हो गई है। रूप रश्मी साना ने कहा कि अभी तक पूह ब्लॉक में 35 महिलाओं की ओर से ढिंगरी मशरूम तैयार किया जा रहा है, जिनमें लियो, लिप्पा, ठंगी, मूरंग, नाको, चुलिंग, सुंगरा, हांगों, रारंग और रिस्पा गांव की महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 3 महीने में मशरूम बाजार में बेचकर, आचार बनाकर और मशरूम को सूखाकर 35 हजार रुपये की कमाई की है।
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