69 नागरिकों की रिहाई का इंतजार कर रहा भारत, रूस बोला- अप्रैल से ही बंद है सेना में भारतीयों की भर्ती
रूसी दूतावास ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय नागरिको की मौत पर दुख जताया। बयान में कहा गया, अप्रैल 2024 से ही रूसी सेना में भारतीयों समेत दूसरे देश के नागरिकों की भर्ती बंद है। भारत को अभी भी अपने 69 नागरिकों की रिहाई का इंतजार है, जो 28 महीने से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच फंसे हुए हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) रूसी दूतावास ने शनिवार को अपनी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती को लेकर उठ रहे सवालों पर बयान जारी किया। दूतावास ने कहा कि उनका देश सैन्य सेवा में भारतीयों की भर्ती करने की धोखाधड़ी वाली योजनाओं में किसी भी तरह से शामिल नहीं था। उसने कहा कि इस साल अप्रैल में रूसी संघ के रक्षा मंत्रालय ने भारत सहित कई देशों के नागरिकों के रूसी सशस्त्र बलो में प्रवेश पर रोक लगाई है।
बयान में कहा गया, "रूसी सरकार कभी भी सार्वजनिक या अस्पष्ट तरीके से अन्य देशों के नागरिकों की धोखाधड़ी से सेना में भर्ती के अभियान में शामिल नहीं रही है, खासकर भारतीय नागरिकों की धोखाधड़ी से भर्ती की योजना में।" दूतावास ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय नागरिको की मौत पर दुख जताया। बयान में कहा गया, दूतावास भारत सरकार और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि 91 भारतीय नागरिकों की भर्ती की गई थी, जिसमें से 14 को छोड़ दिया गया है और 69 की रिहाई का इंतजार है।
बयान में आगे कहा गया, दोनों देशों की एजेंसियां उन भारतीय नागरिकों की जल्द पहचान करने और उनको छोड़ने के लिए मिलकर काम कर रही हैं, जिन्होंने अपनी इच्छा से रूस में सैन्य सेवा के लिए अनुबंध किया था। सभी अनुबंध दायित्वों के लिए उचित मुआवजे के भुगतान को पूरा किया जाएगा।
दूतावास ने कहा कि उसे इस मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए मीडिया से कई अनुरोध मिले। बयान में आगे कहा गया, रूसी दूतावास को मीडिया से रूस संघ के सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों के सेवा करने के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं, क्योंकि यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के दौरान उनके हताहत होने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। गौरतलब है कि कई भारतीयों को आकर्षक नौकरियों के बहाने धोखाधड़ी से कथित तौर पर यूक्रेन से युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया।
जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को दौरे के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया था। रूसी सरकार ने भी इन भारतीय को जल्द छोड़ने का आश्वासन दिया था।
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