जम्मू-कश्मीर: 600 से अधिक ठिकानों की तलाशी, डोडा-श्रीनगर और किश्तवाड़ में एक साथ छापे; आतंकियों की तलाश तेज
श्रीनगर शहर में जिन 36 जगहों की तलाशी ली गई, उनमें से ज्यादातर आतंकवादियों और उनके मददगारों के थे। आतंकवाद रोधी अभियान में सुरक्षा बलों ने सैकड़ों संदिग्धों से पूछताछ भी की है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि आतंकियों, आतंकी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में यह कार्रवाई की जा रही है।

श्रीनगर/जम्मू (आरएनआई) जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान जारी है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने सोमवार को श्रीनगर में 36 और डोडा व किश्तवाड़ में आतंकवादियों और उसके मददगारों के दर्जनों ठिकानों पर छापे मारे और तलाशी ली। पहलगाम हमले के बाद छह दिनों के भीतर सुरक्षा बलों ने आतंकियों और ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के 600 से अधिक ठिकानों की तलाशी ली है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि आतंकियों, आतंकी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में यह कार्रवाई की जा रही है। यह कार्रवाई कार्यकारी मजिस्ट्रेट और स्वतंत्र गवाहों की निगरानी में की गई। श्रीनगर शहर में जिन 36 जगहों की तलाशी ली गई, उनमें से ज्यादातर आतंकवादियों और उनके मददगारों के थे। आतंकवाद रोधी अभियान में सुरक्षा बलों ने सैकड़ों संदिग्धों से पूछताछ भी की है। पहलगाम के बायसरन के मैदान में 22 अप्रैल के हमले बाद से नौ आतंकियों और ओजीडब्ल्यू के घरों को भी जमींदोज किया जा चुका है।
पुलिस ने विशेष ऑपरेशन ग्रुप और अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ सोमवार सुबह डोडा के 13 आतंकियों के घरों में छापे मारे। तलाशी के दौरान कई घरों से संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। किश्तवाड़ जिले में भी तलाशी ली गई। सभी के आतंकी समूहों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से सक्रिय दहशतगर्दों से जुड़े होने का संदेह है। प्रवक्ता ने बताया कि कार्रवाई का उद्देश्य हथियार, दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त करने और राष्ट्र की सुरक्षा के खिलाफ किसी भी षड्यंत्रकारी या आतंकी गतिविधि का पता लगाने और उसे रोकने के लिए साक्ष्य संग्रह और खुफिया जानकारी जुटाना है।
पहलगाम हमले में केंद्र की ओर से सुरक्षा चूक स्वीकार करने के बाद रणनीति में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। रक्षा विशेषज्ञ ने कई मुद्दों पर ध्यान दिलाया है।
रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर विजय सागर (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त तैनाती न होना प्रशासनिक लापरवाही है। पुलिस, सेना, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को बेहतर तालमेल के साथ काम करना होगा और खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा।
सेवानिवृत्त कर्नल सुशील पठानिया कहते हैं कि पुलिस को अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा करनी होगी। 1990 के दशक में जम्मू संभाग से आतंकवाद खत्म करने में सेना की भूमिका अहम थी। सेना की भूमिका को और बढ़ाना होगा। आतंकी नेटवर्क से जुड़े अपराधियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। सुरक्षा से जुड़ी जानकारी देने वालों की गोपनीयता बनानी होगी।
पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वालों की तलाश में सुरक्षाबलों ने घाटी की चौकसी बढ़ा दी है। बीते एक सप्ताह में सुरक्षाबलों ने चार बार इन आतंकियों की घेराबंदी की। एक बार उनके साथ गोलीबारी भी हुई और आतंकी डर कर भाग निकले।
सुरक्षा बलों ने स्थानीय लोगों से मिली जानकारी, खुफिया सूचनाओं व तलाशी अभियानों के जरिये आतंकियों का पता लगाया गया। एक सैन्य अधिकारी ने कहा कि घने जंगलों का फायदा उठाते हुए आतंकी बच रहे हैं, पर ऐसा बहुत दिन तक नहीं होगा।सबसे पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापत नार गांव के पास जंगलों में दहशतगर्दों को देखा गया। फिर इनके कुलगाम के जंगलों में होने का इनपुट मिला। मौके पर सुरक्षाबलों ने इन्हें चारों ओर से घेरा। गोलीबारी भी हुई, लेकिन आतंकी भाग निकले। इसके बाद आतंकियों को त्राल रिज और कोकेरनाग में देखा गया था।
आतंकियों को इस बार किश्तवाड़ में कम बर्फ पड़ने का फायदा हो रहा है। बर्फ नहीं होने के कारण उन्हें पहाड़ी के रास्ते दूसरी ओर से जम्मू की तरफ घने जंगलों में भागने का मौका मिल रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि हमारा मानना है कि वे अभी भी दक्षिण कश्मीर में हैं। इनके अभी भी इसी इलाके में छिपे होने की सूचना है। सुरक्षाबलों ने मुस्तैदी बढ़ा दी है और तलाशी अभियान तेज कर दिया है।
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