56 साल के अनुरा दिसानायके ने जीता चुनाव, श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति होंगे
नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके ने 2024 श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। साल 2022 के विकट आर्थिक संकट के बाद पटरी पर लौट रहे द्वीप राष्ट्र में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले गए थे।
श्रीलंका (आरएनआई) नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके ने 2024 श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। वह देश के नौवें राष्ट्रपति होंगे। साल 2022 के विकट आर्थिक संकट के बाद पटरी पर लौट रहे द्वीप राष्ट्र में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले गए थे। बाद में रात्रि कर्फ्यू के बीच मतगणना हुई। श्रीलंका के निर्वाचन आयोग के महानिदेशक समन श्री रत्नायका ने बताया था कि रविवार को अंतिम नतीजे आएंगे।
महानिदेशक ने बताया कि देश के 22 निर्वाचन जिलों में मतदान के लिए 13,400 हजार से अधिक केंद्र बनाए गए थे। 1.7 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 75 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जो 2019 के राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले (83 फीसदी) 8 फीसदी कम है।
यह चुनाव मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (75) के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं थे, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का दावा किया था। उन्हें नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके (56) व समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा (57) से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना थी।
जीत के बाद दिसानायके ने कहा, सदियों से हमने जो सपना संजोया है, वह आखिरकार सच हो रहा है। यह जीत किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं है। बल्कि लाखों लोगों का सामूहिक प्रयास है। आपकी प्रतिबद्धता हमें यहां ले आई है और इसके लिए मैं हृदय से आभारी हूं। ये जीत हम सबकी है।
उन्होंने आगे कहा, यहां हमारी यात्रा उन अनेक लोगों के योगदान से प्रशस्त हुई है, जिन्होंने इस मकसद के लिए अपना पसीना, आंसू और यहां तक कि अपना जीवन भी दे दिया। उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।
दिसानायके ने आगे कहा, आशा और उम्मीद से भरी लाखों आंखों ने हमें आगे बढ़ाया है और हम मिलकर श्रीलंका के इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं। इस सपने को नई शुरुआत से ही साकार किया जा सकता है। इस नई शुरुआत का आधार सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोग हैं। हम जिस नए पुनर्जागरण की तलाश कर रहे हैं, वह इस साझा ताकत और दृष्टिकोण से उभरेगा। आइए हम हाथ मिलाएं और इस भविष्य को एक साथ मिलकर आकार दें।
बता दें कि श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में खाद्यान्न, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी के बीच दिवालिया होने की घोषणा की थी। देश में महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शन के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका छोड़कर भागने व इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। कुछ हफ्तों बाद संसद ने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति नियुक्त किया था।
निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, सबसे पहले डाक मतों की गणना हो रही है। डाक मत सरकारी कर्मचारियों, चुनाव अधिकारी, सेना और पुलिस अधिकारियों द्वारा डाले जाते हैं। यह मतदान वोटिंग के चार दिन पहले होता है।
यह चुनाव वर्ष 1982 के बाद देश में हुआ सबसे दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव है। इसमें 38 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। चुनाव के लिए बौद्ध मंदिरों के सभागार, स्कूल व सामुदायिक केंद्रों को मतदान केंद्र में तब्दील किया गया था। चुनाव कराने के लिए दो लाख से अधिक अधिकारियों की तैनाती की गई।
श्रीलंका में मतदाता तीन उम्मीदवारों की वरीयता क्रम के आधार पर रैंकिंग कर विजेता का चयन करते हैं। अगर मतगणना में किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होता, तो दूसरे दौर की गिनती शुरू की जाती है। इसमें दूसरी व तीसरी वरीयता वोटों की गिनती की जा जाती है। हालांकि, अभी तक किसी भी चुनाव में दूसरे दौर की मतगणना की जरूरत नहीं पड़ी है।
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगभग 8,000 स्थानीय व विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई थी। इनमें यूरोपीय संघ, राष्ट्रमंडल देशों व एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शंस के 116 तथा दक्षिण एशियाई देशों के सात अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक शामिल थे। प्रमुख स्थानीय समूह पीपुल्स एक्शन फॉर फ्री एंड फेयर इलेक्शन (पीएएफएफआरईएल) ने 4,000 स्थानीय पर्यवेक्षकों की तैनाती की थी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव पर भारत व चीन की पैनी नजर है। आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को दिवालियापन से बचाने के लिए भारत ने बड़ी आर्थिक मदद की है। चीन भी श्रीलंका को लुभाने का प्रयास करता रहता है। विश्लेषकों का कहना है कि रानिल विक्रमसिंघे भारत के करीब हैं। हालांकि, उनके कुछ फैसले भारत के खिलाफ भी रहे हैं, जिनमें चीनी जासूसी जहाजों को लंगर डालने की अनुमति देना और हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को लीज पर देना आदि शामिल हैं। चुनाव पूर्व सर्वे में विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर चल रहे हैं, जबकि वामपंथी दिसानायके पहले स्थान पर रहे। दिसानयके ने श्रीलंका में शांति सैनिकों को भेजने के भारत के फैसले का विरोध किया था। वह चीन के समर्थक भी माने जाते हैं। अदाणी समूह के खिलाफ उनका हालिया बयान उनके नजरिये की झलक मानी जा रही है। प्रेमदासा दूसरे स्थान पर हैं, जिनकी कई छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?