42 दिन से फ्रीजर में बंद शव से उठने लगी दुर्गंध, पिता क्यों टाल रहे अंतिम संस्कार?'
नारनौल में कनीना के बागौत गांव निवासी मोहित का 42 दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो सका। क्योंकि उसके पिता कैलाशचंद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। शव को नागरिक अस्पताल के फ्रीजर में रखा गया है जिससे दुर्गंध उठने लगी है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है।
नारनौल (आरएनआई) आत्महत्या करने वाले बागौत गांव के मोहित के शव का 42 दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं किया गया। यहां के नागरिक अस्पताल में फ्रीजर में रखे मोहित के शव से दुर्गंध उठने लगी है।
मोहित के पिता कैलाशचंद की मांग है कि उनके बेटे की मौत के जिम्मेदार प्रदेश के पूर्व मंत्री और अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर जांच हो तभी वह अंतिम संस्कार करेंगे। यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी गया था। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से घटना की जांच आईपीएस अधिकारी से कराने और युवक के पिता को तीन दिन के अंदर अंतिम संस्कार कराने के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने वादी कैलाशचंद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए तीन दिन में मृतक का दाह संस्कार करने के आदेश दिए थे, जिसकी समय सीमा 19 जनवरी को समाप्त हो गई। 20 जनवरी को एसडीएम जितेंद्र सिंह अहलावत एवं डीएसपी दिनेश कुमार इस मामले सहित हरियाणा मानव अधिकार आयोग (एचएचआरसी) में दी गई दरखास्त पर जवाबी एप्लीकेशन दाखिल की। जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।
अब दोनों पक्ष हाईकोर्ट के आदेश आने की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। मोहित ने 13 दिसंबर की रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मोहित इस दिन किसी बर्थडे पार्टी से आया था। कनीना सदर थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसे उपनागरिक अस्पताल कनीना में भिजवाकर शनिवार 14 दिसंबर 2024 को उसका पोस्टमार्टम करवा दिया था।
मृतक युवक के पिता ने प्रदेश के पूर्व मंत्री सहित आठ व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर शव लेने से मना किया था। आरोप हैं कि पूर्व मंत्री और अन्य आरोपितों द्वारा एक मामले में झूठा फंसाने से परेशान होकर मोहित ने जान दी है।
पुलिस प्रशासन ने इस संबंध में साक्ष्य उपलब्ध करवाने को कहा। जिन्हें वे पेश नहीं कर सके। जिससे पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
15 जनवरी को कनीना खंड के गांव पडतल के सरपंच रोशनलाल इंदौरा अधिवक्ता पदमकांत के माध्यम से जनहित याचिका एचएचआरसी में दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले एक माह से मोहित का शव कनीना अस्पताल के मोर्चरी में रखा हुआ है, जिससे बीमारी फैल सकती है।
आयोग की ओर से 20 जनवरी को नोटिस जारी कर प्रशासनिक अधिकारियों को तलब किया गया था। जिसमें एसडीएम जितेंद्र सिंह अहलावत व डीएसपी दिनेश कुमार उपस्थित हुए ओर अपना जवाबदावा दाखिल किया था। उनकी ओर से आगामी तीन फरवरी को पुनः सुनवाई निश्चित की है।
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