37 माह में पहली बार दोनों देशों ने छोड़े 175 बंदी; शांति बहाली की उम्मीदें बढ़ीं
तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में 10 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई और करोड़ों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। हालांकि अब जाकर दोनों देशों के नागरिकों के लिए थोड़ी की राहत बात सामने आई है, जिसके तहत दोनों देशों ने युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार कैदियों की अदला-बदली पर सहमति जताई और 150 से ज्यादा कैदियों का आदान-प्रदान किया है।

कीव (आरएनआई) रूस और यूक्रेन में तनाव की खबरों के बीच बुधवार को दोनों देशों ने एक बड़े पैमाने पर कैदियों की अदला-बदली की। इस दौरान कुल 175 कैदियों की अदला-बदली की गई। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद से पहली बार दोनों देशों के बीच कैदियों का आदान-प्रदान हुआ, जो कि शांति बहाल करने की दिशा में सकारात्मकता की ओर इशारा कर रहा है।
वहीं दोनों देशों के बीच हुए 175 कैदियों के आदान-प्रदान पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन सैनिकों, सार्जेंटों और अधिकारियों को वापस ला रहा है, जो विभिन्न सैन्य बलों जैसे सशस्त्र बल, नौसेना, राष्ट्रीय रक्षक, प्रादेशिक रक्षा बलों और सीमा रक्षक सेवा में हमारी स्वतंत्रता के लिए लड़े थे।
उन्होंने कहा कि सभी कैदियों और नागरिकों की रिहाई शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। साथ ही इससे दोनों देशों के बीच विश्वास स्थापित करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने बार-बार सभी के लिए कैदियों की अदला-बदली की मांग की है। देखा जाए तो दोनों देशों के बीच यह कदम तब उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच अस्थायी युद्धविराम को लेकर चर्चा हो रही है।
युद्धरत देशों के बीच 175 कैदियों की अदला-बदली के बाद यूक्रेन के चेर्निहिव क्षेत्र के एक अस्पताल में कई परिवार अपने रिहा किए गए रिश्तेदारों को लेने के लिए पहुंचे। इनमें से 28 वर्षीय एलियोना स्कुइबिडा भी थीं, जो अपने मंगेतर एंड्री ओरेल की वापसी का इंतजार कर रही थीं। एंड्री को अप्रैल 2022 में मारियुपोल की लड़ाई के दौरान रूस ने पकड़ लिया था। जहां एलियोना ने बताया कि वे शादी करने वाली थीं, लेकिन मंगेतर के पकड़े जाने के कारण उनका सपना अधूरा रह गया। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान से लौटने के बाद बहुत से सैनिकों को यातना के निशान के साथ घर लौटना पड़ता है।
दूसरी ओर बुधवार को एलियोना ने गुब्बारे और केक के साथ ओरेल की वापसी का जश्न मनाने की योजना बनाई थी, क्योंकि उनके मंगेतर का जन्मदिन एक दिन पहले था। इसके बाद, अस्पताल के मैदान में कई बसें आकर रुकीं और थके-हारे सैनिक वाहनों से बाहर निकले। उनके चेहरों पर मुस्कान थी।
इसके साथ ही तीन साल बाद घर लौटे 46 वर्षीय ओलेक्सांद्र सावोव ने अपनी पीड़ा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब तक मैंने अपना झंडा नहीं देखा, मुझे यकीन नहीं हुआ कि मैं घर आ गया हूं। उनके साथ उनकी बेटी अनास्तासिया सावोवा भी थी, जिसने तीन सालों से अपने पिता से कोई संपर्क नहीं किया था। ओलेक्सांद्र ने कहा कि उन्हें अब बस शांति, एक कटोरी, बोर्श, नहाने का मौका और साफ बिस्तर पर सोने की ख्वाहिश है। उन्होंने बताया कि कैद के दौरान उनका लगभग 20 किलो वजन घट गया था।
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