36 घंटे के अल्टीमेटम के बाद भी नहीं पकड़े गए पत्रकार पर हमले के आरोपी तो धरने पर बैठे जिलेभर के पत्रकार
आक्रोषित पत्रकारों ने उठाए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल, नपा के सामने शुरू हुआ धरना।
गुना (आरएनआई) शहर के जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के सामने संचालित एक अखबार के दफ्तार में दिनदहाड़े पत्रकार पर जानलेवा हमले के विरोध में जिलेभर के पत्रकार सोमवार को नगरपालिका गेट के सामने धरने पर बैठ गए। घटना को 36 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा राजनीतिक दबाव में हमले के असल आरोपियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। वहीं हमले के अन्य आरोपी भी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। ऐसे में सोमवार से जिलेभर के पत्रकार नपा के सामने धरने पर बैठ गए। धरने में समस्त पत्रकार संगठनों के अलावा विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर अपना समर्थन दिया।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को दिनदहाड़े एबी रोड पर एक अखबार के कार्यालय में घुसकर बदमाशों द्वारा तोडफ़ोड़ और पत्रकार के साथ मारपीट किए जाने का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद से जिले भर के पत्रकार और मीडियाकर्मियों में रोष व्याप्त है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। पत्रकार हेमराज जाटव के अनुसार वे अपने कार्यालय में शाम के समय काय कर रहे थे। इसी दौरान तीन लोग अंदर आए और मारपीट करने लगे। आफिस के सामान की तोडफ़ोड़ भी की। वहीं आफिस से खींचकर भार ले गए, सडक़ पर भी झूमाझटकी करते हुए मारपीट की गई। मामले में कैंट थाना में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया है। हालांकि हेमराज ने कहा कि वो सभी लोगों को नामजद जानते हैं। पत्रकारों द्वारा मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग पुलिस से की जा रही है। पुलिस ने तीन आरोपियों पर धारा 296, 115 (2), 351 (2), 3 (5) के तहत मामला दर्ज किया है। मामले में पुलिस ने रविवार को एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है। इधर पूरी घटना के पीछे बमोरी अंचल के वन विभाग में पदस्थ कथित भ्रष्ट अफसरों का हाथ बताया जाता है। जिन्होंने भाड़े से अपराधियों को भेजकर पत्रकार पर जानलेवा हमला करवाया।
इस मामले में पत्रकारों द्वारा पुलिस अधीक्षक संजीव सिन्हा को ज्ञापन सौंपा। जिस आरोपियों को पकडऩे 24 घंटे का आश्वासन दिया गया था। अल्टीमेटम समाप्त होने के बाद भी अगर आरोपी नही पकड़े गए और सरगना में शामिल लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 42 घंटे बाद स्थानीय हनुमान चौराहा पर बड़ी संख्या में पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले के विरोध में धरने पर बैठ गए। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि पुलिस प्रशासन की दो दिन से कार्यशैली को देखते हुए लगता है कि पुलिस राजनीतिक दबाव में असल आरोपियों को बचा रही है। पत्रकार हमेशा आमजन की हर वो समस्या, जनहित के मुद्दे निसंकोच निष्पक्षता से निर्भीक होकर गांव से शहर तक उठाता आया। पत्रकार श्री जाटव लगातार वन अफसरों की काली करतूत उजागर कर रहे थे। जिससे बौखला कर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पत्रकारों के ऑफिस में घुसकर दिन दहाड़े गुंडे, बदमाश और माफिया सुपारी लेकर जान लेवा हमला करने लगे। बड़ा सवाल है कि जब देश में कलमकार चौथे स्तंभ के सजग प्रहरी सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता का क्या हो रहा होगा।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि आज की विषम परिस्थितियों में जब घटना कारित कराने और करने वाले आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। आरोपी के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल नहीं निकलवाई गई और ना ही आरोपियों की संख्या शहर में लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों में देखी जा रही। पकड़े जाने वाले आरोपी से राज खुलने और कबूलनामे के बाद भी पुलिस चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि आरोपी ने पूछताछ में यह तो उगला ही होगा की किसने भेजा है और संख्या कितनी थी। हथियार, शस्त्र किसने उपलब्ध कराए। किसने सुपारी दी और एक साधारण से पत्रकार को मारने की कितनी फीस देकर भिजवाए गए। एक पत्रकार के साथ दिनदहाड़े इतनी बड़ी घटना हुई है और मरते मरते बचा है।
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