30 साल बाद मिली मालवा निमाड़ को प्रदेश की कमान, पटवा के बाद मोहन यादव सीएम और जमुनादेवी के बाद जगदीश देवड़ा बने डिप्टी सीएम
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भोपाल, (आरएनआई) प्रदेश की सत्ता पर भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हो चुकी है और 30 बरस बाद नेतृत्व की कमान मालवा निमाड़ के हाथ में है। उज्जैन दक्षिण से विधायक चुने गए डॉ मोहन यादव प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। सुंदरलाल पटवा के बाद सूबे से सीएम बनने वाले डॉ यादव सातवे और भाजपा के चौथे नेता है। वही जगदीश यादव सूबे के चौथे नेता है जो डिप्टी सीएम की भूमिका निभाएंगे। बहरहाल सत्ता की चाबी माने जाने वाले मालवा निमाड़ प्रदेश में सबसे ताकतवर बन कर उभरा है। 48 सीटों पर भाजपा को विजयश्री दिलाने वाले इस सूबे को इस बार पूरा कार्यकाल मिलेगा ऐसी उम्मीद की जा रही है।
मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद करीब 66 बरस कांग्रेस और भाजपा की सरकार प्रदेश में काबिज रही इन वर्षो में अलग अलग दौर में कोई 26 साल प्रदेश की कमान भाजपा के हाथ रही इसमे 1977 के जनता सरकार का कार्यकाल भी शामिल रहा है। 9 जन वरी 1957 को खंडवा के भगवंतराव मंडलोई ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी। मंडलोई का यह कार्यकाल महज 22 दिन का रहा था। 31 जनवरी 1957 को जावरा के कैलाशनाथ काटजू ने सीएम पद की शपथ ली और वे 1962 तक लगातार इस पद पर बने रहे। उनके बाद दौर पीसी सेठी का आया उज्जैन से चुनाव लड़े सेठी ने 29 जनवरी 1972 को सीएम पद संभाला और 1975 तक वे पद पर बने रहे। 30 अप्रेल 1977 में देश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
कांग्रेस विरोधी लहर देश में फैल गई और सारे विपक्ष जनता पार्टी के बैनर तले एकजूट हो गए। प्रदेश में हुए चुनाव में जनता पार्टी की एक तरफा जीत हुई। 24 जून 1977 को बागली से चुनाव लड़ने वाले कैलाश जोशी प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री चुने गए। जोशी का कार्यकाल 18 जनवरी 1978 तक रहा और फिर कमान विरेंद्रकुमार सकलेचा के हाथ में आ गई। सकलेचा भी मालवा क्षेत्र के जावद के ही थे। 20 जनवरी 1980 को नीमच क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बना दिए गए। 1980 में फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 1980 से 1990 तक लगातार कांग्रेस का शासन रहा और मालवा निमाड़ को सत्ता में कोई खास भागीदारी नहीं मिल पाई।
राम मंदिर आंदोलन की लहर पर सवार भाजपा ने 1990 में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। इस आंदोलन ने ना केवल भाजपा की सत्ता का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि मालवा निमाड़ के महत्व को भी बढ़ा दिया। सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई। हालांकि पटवा ने अपना यह चुनाव भोजपुर से लड़ा था मगर उनकी गिनती मालवा के नेताओं में ही होती थी। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 15 दिसंबर 1992 को एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और भाजपा सरकार गिर गई।
1993 में भाजपा को सत्ता में आने की खासी उम्मीद लगी हुई थी मगर कांग्रेस ने अपनी खोई सत्ता दोबारा प्राप्त कर ली। लगातार दस साल यानी 2003 तक प्रदेश की कमान दिग्विजयसिंह के हाथ रही। इस दौरान प्रदेश में सड़क बिजली और पानी जैसे मुद्दे पर भाजपा ने अपनी आवाज मुखर की और जनता ने भी भाजपा का पुरजोर साथ दिया। उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमा लिया। उमा भारती से जल्द नेतृत्व की कमान बाबुलाल गौर को सौप दी गई और उनके बाद पहली बार शिवराजसिंह चौहान के रूप में एक युवा और नए चेहरे को भाजपा ने आगे कर दिया। शिवराज ने भी 13 साल की कमाल पारी खेली।
2018 में कांग्रेस ने कांटा पकड़ मुकाबले में छोटे से अंतर से बाजी मार ली और प्रदेश की सत्ता पर कमलनाथ का शासन हो गया। इस सरकार की उम्र महज सवा साल ही रही। ज्योतिरादित्या सिंधिया के पाला बदलने के बाद सरकार गिर गई। उप चुनाव के बाद सत्ता के सूत्र भाजपा के हाथ आ गए और नेतृत्व की कमान फिर शिवराजसिंह चौहान के पास थी। तकरीबन पौने चार साल तक वे ही सीएम पद पर बने रहे।
मल्हारगढ़ सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा भाजपा के अजेय योध्याओं में शुमार है। देवड़ा ने अपना पहला चुनाव 1990 में लड़ा था और तब से अब तक लगातार आठवी जीत एक ही सीट पर उन्होंने दर्ज करवाई है। अब देवड़ा प्रदेश के पांचवे उप मुख्यमंत्री बनाए गए है। देवड़ा मालवा निमाड़ से पांचवे उप मुख्यमंत्री है। उनसे पहले 1967 में प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह थे तब जनसंघ से विरेंद्र कुमार सकलेचा उप मुख्यमंत्री बनाए गए थे। अर्जुनसिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में आदिवासी नेता शिवभानुसिंह सोलंकी उपमुख्यमंत्री थे। वही दिग्विजय सिंह के पहले कार्यकाल में सुभाष यादव और दुसरे कार्यकाल में यादव के साथ जमुनादेवी भी उप मुख्यमंत्री मनोनित हुई थी।
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