24 घण्टे सातों दिन काम पगार भी 4000
तहसील में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे कोटवार
24 घण्टे सातों दिन काम पगार भी 4000, तहसील में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे कोटवार।
गुना। जनाब, हम 25 साल की उम्र में कोटवार बन गए थे अब साठ साल के हो गए, हमसे अधिकारी और सरकार सब काम करा रही है। लेकिन शासकीय कर्मचारी घोषित नहीं है।
मात्र 4000 रुपया वेतन मिलता है, वो भी समय पर नहीं। कैसे अपने परिवार का भरण-पोषण करें। यह सरकार ही बताए।
हमें शासकीय कर्मी घोषित नहीं किया या हमें कलेक्ट्रेट रेट पर वेतन नहीं मिला तो वो दिन दूर नहीं हम अपनी जान दे देंगे। यह पीड़ा थी कोटवारों की, जो कोटवार संघ के तत्वावधान में गुना तहसील परिसर में धरने पर बैठे हैं।
गुना तहसील में धरने पर बैठे कोटवार संघ के प्रांतीय अध्यक्ष हरवीर सिंह बताते हैं कि गुना जिले में साढ़े चार सौ करीबन कोटवार अलग-अलग गांवों में पदस्थ हैं। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कोटवार के रूप में अपने गांव से संबंधित जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को पहुंचा रही हैं। चुनाव कराने से लेकर थाने और तहसील में हमारे कोटवार समय-समय पर ड्यूटी करते रहे हैं। चार साल पहले हम लोगों का वेतन चार हजार रुपए तय हुआ था, उस समय से चार हजार रुपए ही मिल रहा है। अध्यक्ष का कहना था कि यह हड़ताल गुना जिले में नहीं पूरे प्रदेश में चल रही है। हमने तहसील परिसर में बैठने के लिए एसडीएम से लिखित में अनुमति ली है।
उनका कहना था कि हम लोग कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन हमेशा हमें आश्वासन मिलता रहा है, इस बार हमने निर्णय लिया है कि मांगों के मानने के बाद ही हम लोग अपना
धरने पर बैठे कोटवारों ने बताया कि जिले में कोटवारों के रूप में 22 साल से लेकर साठ साल तक के वृद्ध पदस्थ हैं। कोटवारों की स्थिति ये है कि मात्र चार हजार रुपए वेतन पर अपना जीवन खपा दिया, वे न तो शासकीय सेवक बन पाए और न ही उनको मरने के बाद परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिल पाया।
इनके साथ ही मौजूद महिला कोटवारों का कहना था कि हमारी ड्यूटी चाहें जहां लगा दी जाती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर सरकार फंड न होने की बात करती है। हमें न कोई अवकाश मिलता है और न ही कोई सुविधा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के प्रति काफी सहानुभूति रखते हैं तो हमारे साथ भी न्याय कराएं।
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