23 दलों से टकराना होगा मोदी को हम आपसे सवाल पूछना नहीं छोड़ेंगे
कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि मिशन 2024 के लिए भाजपा के राष्ट्रवाद की काट निकालने की तैयारी हो रही है। मोदी सरकार के दौरान चीन ने कब और किस इलाके में घुसपैठ का प्रयास किया है या कथित तौर पर भारतीय इलाकों पर कब्जा किया है, इस बाबत एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
नई दिल्ली। (आरएनआई) कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के लिए लाइन तय कर दी है। सोनिया ने अपने पत्र में जिन 'नौ' मुद्दों का जिक्र किया है, उनमें चीन द्वारा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में की जा रही घुसपैठ भी शामिल है।
इससे पहले भी कांग्रेस द्वारा समय-समय पर चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाता रहा है। खुद राहुल गांधी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 'एलएसी' को लेकर कई बार केंद्र सरकार को घेर चुके हैं। अब सोनिया गांधी ने कहा है कि संसद के विशेष सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, सरकार ने इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी है। ऐसे में उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि 'नौ' विशेष मुद्दों पर चर्चा के लिए समय आवंटित किया जाए। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने अपने पत्र के जरिए कांग्रेस ही नहीं, बल्कि 'इंडिया' के लिए 'भाजपा' के 'राष्ट्रवाद' की काट निकाल ली है। संभव है कि 'इंडिया' भी मोदी सरकार को घेरने के लिए सोनिया गांधी की 'लाइन' पर आगे बढ़ेगा।
केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक पांच दिवसीय विशेष संसद सत्र बुलाया है। सत्र में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि संसद का विशेष सत्र, विपक्ष से बिना किसी पूर्व चर्चा के बुलाया गया है। हालांकि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी, संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेगी। इसमें देश और जनता से जुड़े मुद्दे उठाए जाएंगे। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में अदाणी मामले का भी जिक्र किया है। इसके लिए उन्होंने जेपीसी के गठन की मांग की है। अन्य मुद्दों में उन्होंने मौजूदा अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई, एमएसएमई, किसानों के एमएसपी की मांग, मणिपुर की स्थिति, राज्यों में सांप्रदायिक तनाव, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की घुसपैठ, केंद्र एवं राज्यों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाना और प्राकृतिक आपदा शामिल हैं।
चीन की घुसपैठ और अदाणी मामला, इन दोनों को लेकर कांग्रेस पार्टी, भाजपा पर लगातार हमलावर रही है। सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी सहित कांग्रेस के अनेक नेताओं ने इन दोनों मुद्दों को उठाया है। पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में चीनी नामों की सूची को कांग्रेस नेताओं ने हाथों-हाथ लिया था। कांग्रेस इस मुद्दे को 'ड्रैगन को क्लीन चिट' पंच लाइन से लोगों के बीच ले गई थी। राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में लिखा था कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहे, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा था, हमारे 50-60 हजार सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के ऊपर तैनात हैं। ये बुनियादी सवाल इसलिए उत्पन्न होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2013 से लेकर अब तक 19 बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल चुके हैं। पांच बार प्रधानमंत्री मोदी चीन गए हैं। भारत का कोई भी प्रधानमंत्री 1947 से लेकर 2023 तक इतनी बार चीन नहीं गया होगा।
भाजपा चाहे विकास और राष्ट्रवाद का कितना भी राग अलाप ले, मगर 2024 में 'इंडिया' गठबंधन उसकी राह मुश्किल कर देगा। भाजपा ने 2019 का चुनाव राष्ट्रवाद के नाम पर ही जीता था। इस बार केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि अधिकांश विपक्षी दल भी उसके साथ चलने को तैयार हुए हैं। वे भी चीन के मुद्दे पर भाजपा को घेर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आक्रामकता के साथ 'राफेल' का मुद्दा उठाया था, लेकिन पार्टी उस पर अकेली पड़ गई थी। विपक्षी दलों का साथ कांग्रेस को नहीं मिल सका था। मौजूदा समय में बॉर्डर पर चीन के दुस्साहस से विपक्ष पूरी तरह अवगत है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी, इस मुद्दे पर विपक्ष को साथ लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कह चुके हैं, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। गलवान के बाद, मोदी जी द्वारा चीन को क्लीन चिट देने का नतीजा, देश भुगत रहा है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने लद्दाख की यात्रा के दौरान कहा था, पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने हमारी जमीन कब्जा ली है। हाल ही में चीन द्वारा अपने नए नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को शामिल करने पर राहुल गांधी ने कहा, नक्शे का सवाल बहुत गंभीर है। चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, इस मामले पर प्रधानमंत्री को भी बोलना चाहिए।
चीन की घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से पिछले 35 महीनों में कोई जवाब नहीं आया है कि नियंत्रण रेखा पर, वो भी इतने व्यापक स्तर के ऊपर और इतनी जगह घुसपैठ क्यों हुई। 1993 से 2013 तक लगभग 20 साल में कांग्रेस, यूनाइटेड फ्रंट व एनडीए-भाजपा की भी सरकार रही।
7 सितंबर, 1993 को एक 'Agreement of maintenance of peace and tranquility along the line of actual control', पर हस्ताक्षर किए गए।
29 नवंबर, 1996 को 'Agreement of confidence building measures in the military field along the LAC' हुआ।
इसके बाद 11 अप्रैल, 2005 को 'Protocol on the modalities of confidence building measures in the military field along the LAC' सामने आया।
जनवरी 17, 2012 को 'Agreement on the establishment of a working mechanism for consultation and coordination on the Indo-China border affairs' और 23 अक्टूबर, 2013 को 'Border-defence cooperation agreement' समझौता हुआ था।
इन सबके बावजूद हमारे 50, 60 हजार सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के ऊपर तैनात हैं। 2014 में चूमर हुआ, 2017 में डोकलाम हुआ, 2020 में गलवां हुआ और दिसंबर 2022 में तवांग में जो यांगत्जी दरिया है, वहां पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई।
एक तरफ तो ये घुसपैठ है और दूसरी ओर भारत का व्यापार है। चीन के साथ यह व्यापार वर्ष 2022 तक बहुत तेजी से बढ़ा है। वर्ष, 2022 में चीन से हमने 136 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट किया। कुल व्यापार 136 बिलियन डॉलर का था, जिसमें 119 बिलियन डॉलर का हमने इम्पोर्ट किया है। 17.5 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया है। भारत का ट्रेड डेफिसिट, जिसमें चीन को फायदा मिलता है, वो आज 100 बिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा है। चीन से जो घुसपैठ हो रही है, इसको किसी तरह हम सब्सिडाइज तो नहीं कर रहे। ये कहना कि हमने कन्फलिक्ट और कॉमर्स को डिहाइफनेटेड कर दिया है, यह किसी भी तरीके से उचित नहीं है। इतनी भारी संख्या में भारत के सैनिक उन बर्फीले इलाकों में पिछले तीन वर्षों से तैनात हैं। 2020 में गलवान की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में हमारे जवान और ऑफिसर वीरगति को प्राप्त हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की सरजमीं में किसी भी तरह की कोई घुसपैठ नहीं हुई।
दिसंबर, 2022 में जब डीजीपी और आईजीपी की कॉन्फ्रेंस हुई तो वहां एसएसपी लद्दाख की तरफ से 'Security issues pertaining to unfenced border' प्रस्तुत किया जाता है। उसमें लिखा था कि भारत ने 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स में से 26 प्वाइंट पर अपनी पहुंच खो दी है। इस रिपोर्ट के बाद कांग्रेस एवं दूसरे विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की थी कि इस विषय पर ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाए। विपक्ष को भरोसे में लेकर, सरकार को विस्तारपूर्वक यह बताना चाहिए कि पिछले तीन वर्ष में बॉर्डर पर क्या घटनाक्रम हुआ है। उसका ब्यौरा क्या है, किस तरह की नेगोसिएशन चल रही हैं, इसका एक सार, विपक्ष के समक्ष रखना चाहिए। संसद के मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चीन से लगती सीमा पर पेट्रोलिंग पॉइंट्स को लेकर मोदी सरकार से कई सवाल पूछे थे। इनमें, चीन बॉर्डर पर 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स से भारत का अधिकार छिनना, और 'बफर' जोन भी हमारी जमीन में तैयार होना, शामिल है।
चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ, यह मुद्दा कांग्रेस पार्टी पहले भी उठाती रही है। खुद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कई बार भाजपा और पीएम मोदी पर हमला बोला है। राहुल ने कहा था, 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहे, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं! प्रधानमंत्री जी, आखिर इतना डर क्यों?। पिछले दिनों चीन ने एक नक्शा जारी कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस नक्शे में चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किया है। साथ ही अक्साई चिन को भी अपना इलाका बताया है। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने कहा, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने अरुणाचल में हमारे इलाकों के नाम बदलने की हिमाकत की है। सवाल है, आखिर चीन इतना दुस्साहस कैसे कर पा रहा है। जवाब आप जानते हैं, जब पीएम मोदी खुद चीन को क्लीन चिट देंगे, कहेंगे कि कोई घुसा नहीं है तो मन बढ़ेगा ही।
हमें 2020 के जून महीने में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट और चीनी कार्रवाई पर उनकी चुप्पी की कीमत चुकानी पड़ रही है। लगभग तीन साल बाद भी चीनी सेना हमारे गश्ती दल को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदानों तक पहुंचने से रोक रही है, जहां पहले हमारे जवान बिना किसी रोक-टोक के पेट्रोलिंग किया करते थे। अब चीन, अरुणाचल प्रदेश में पहले की स्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश, हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के लोग, भारत के गौरवशाली और देशभक्त नागरिक हैं। इस संदर्भ में भारत और भारत के सभी नागरिकों के सामूहिक संकल्प पर कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धरातल पर इन वास्तविकताओं को किसी भी प्रकार से ठेस न पहुंचे।
मिशन 2024 के लिए भाजपा के राष्ट्रवाद की काट निकालने की तैयारी हो रही है। मोदी सरकार के दौरान चीन ने कब और किस इलाके में घुसपैठ का प्रयास किया है या कथित तौर पर भारतीय इलाकों पर कब्जा किया है, इस बाबत एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। लद्दाख के किन इलाकों में पहले भारतीय सेना गश्त करती थी, मगर अब वहां तक हमारे सैनिक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस बात को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। 2014 से पहले पड़ोसी मुल्कों से लगती सीमाओं पर कैसी स्थिति थी, इसे भी जनता के बीच रखा जाएगा। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, चीन की लगातार अरुणाचल प्रदेश में जगहों का नाम बदलने की हिमाकत सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी के एक झूठ का नतीजा है। चीन को सबक सिखाना है, गलबहईंया नहीं करनी है। चीन की हिम्मत कैसे हो रही है कि वह हमारी भूभागीय अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। श्रीनेत ने अपने ट्वीट में लिखा, चीन के साथ पीएम मोदी का प्रेम, देश को महंगा साबित हो रहा है।
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