'2014 के बाद से नेहरू की आलोचना के माध्यम से चल रहा शासन', पुस्तक लॉन्च पर बोले जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम सब किसी न किसी रूप में नेहरू की छाया में जी रहे हैं। हममें से कई लोगों ने नेहरू को आत्मसात किया है और कुछ उनके विरोधी हैं, लेकिन जो लोग नेहरू का विरोध करते हैं, वे भी उनकी छाया से बाहर नहीं निकल सकते।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू के आलोचक और प्रशंसक दोनों ही उनकी छाया में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से भारत में सबसे ज्यादा नेहरू की आलोचना के माध्यम से ही शासन चल रहा है।
लेखक-विद्वान आदित्य मुखर्जी की 'नेहरूज़ इंडिया' के लॉन्च पर बोलते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस किताब की सबसे बड़ी बातों में से एक यह है कि 'न केवल भारत के विचार, बल्कि नेहरू के विचार का भी बचाव करने की जरूरत है।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा कि हम सब किसी न किसी रूप में नेहरू की छाया में जी रहे हैं। हममें से कई लोगों ने नेहरू को आत्मसात किया है और कुछ उनके विरोधी हैं, लेकिन जो लोग नेहरू का विरोध करते हैं, वे भी उनकी छाया से बाहर नहीं निकल सकते।
जयराम रमेश ने बुधवार को राज्यसभा में पारित बॉयलर बिल, 2024 का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से देश में नेहरू की आलोचना पर शासन चल रहा है। बॉयलर बिल, बॉयलरों को विनियमित करने वाला एक विधेयक है, जो कारखानों में भाप उत्पन्न करते हैं। संसद में इस बिल की बहस में नेहरू का भी जिक्र था। रमेश ने कहा कि मुझे तब आश्चर्य हुआ, जब मंत्री ने विधेयक को सही ठहराने के लिए कहा कि यह नेहरू के समय में नहीं था।
जयराम रमेश ने 1962 के चीनी आक्रमण का भी जिक्र किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी सहित सात सांसदों ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए कहा तो नेहरू ने संसद का प्रारंभिक सत्र बुलाया। उस समय विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने नेहरू पर कड़वा हमला किया और तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन ने इस्तीफा दे दिया। जबकि आज सरकार विदेश नीति पर बयान देती है, लेकिन किसी सवाल का जवाब नहीं देती। उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू की विरासत के बारे में जो लोग आलोचना करते हैं, उनमें से कई लोग कुछ पहलुओं को स्वीकार भी करते हैं। कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि नेहरू की छाया में रहकर ही आज के राजनेता और समाज का रास्ता तय होता है, चाहे वे उनका समर्थन करते हों या विरोध।
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