1987 हाशिमपुरा नरसंहार मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दो और दोषियों को जमानत दी, 38 लोगों को उतारा था मौत के घाट

सुप्रीम कोर्ट ने 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले के दो दोषियों को आज जमानत दे दी है। दोषियों ने शीर्ष कोर्ट के पिछले फैसले के आधार पर जमानत की मांग की थी। 

Dec 20, 2024 - 16:00
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1987 हाशिमपुरा नरसंहार मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दो और दोषियों को जमानत दी, 38 लोगों को उतारा था मौत के घाट

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा में 38 लोगों के नरसंहार के मामले में दो और दोषियों को जमानत दी। इससे पहले छह दिसंबर को शीर्ष कोर्ट ने आठ दोषियों को जमानत दी थी। 

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुद्धि सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित आनंद तिवारी की दलीलों को सुना। तिवारी ने जमानत के पक्ष में यह दलील दी कि बुद्धि सिंह भी अन्य दोषियों की तरह छह साल से अधिक समय से जेल में है। वहीं, दोषी बसंत बल्लभ की ओर से वरिष्ठ वकील शादान फरासात पेश हुए  और उन्होंने भी इसी आधार पर जमानत की मांग की। पीठ ने अपने पिछले आदेश को ध्यान में रखते हुए दोनों दोषियों को जमानत दी। 

इससे पहले तिवारी ने शीर्ष कोर्ट को यह बताया कि दोषी याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट के फैसले के बाद से छह साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया है। आरोपियों का व्यवहार मुकदमा और अपील प्रक्रिया के दौरान अच्छा था। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने गलत आधारों पर फैसला लिया, जबकि निचली अदालत ने पहले उन्हें बरी कर दिया था। 

हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को हुआ था, जब प्रांतीय सशस्त्र पुलिस (पीएसी) के जवानों ने मेरठ के हाशिमपुरा में करीब मुसलमान पुरुषों को पकड़ा था। उस समय उत्तर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा हुआ था। पुलिस ने इन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजने का दावा किया था। लेकिन इन सभी को मेरठ के बाहरी इलाकों में ले जाकर गोली मार दी गई थी और उनके शवों को नहर में फेंक दिया गया था। इस घटना में 38 लोगों की मौत हुई और केवल पांच ही लोग जिंदा बच पाए, जिन्होंने इस भयावह घटना का खुलासा किया। 

साल 2015 में निचली अदालत ने 16 पीएसी के जवानों को इस मामले में बरी कर दिया था, क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे। हालांकि, 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इन 16 दोषियों को हत्या, अपहरण और सबूत मिटाने जैसे आरोपों में दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 

इस मामले में सी-कंपनी के 19 कर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था, जिनमें पलटून के कमांडर सुरेंद्र पाल भी शामिल थे। हालांकि, तीन आरोपियों ओम प्रकाश शर्मा, कुश कुमार सिंह और सुरेंद्र पाल सिंह की मौत हो चुकी है और हाईकोर्ट ने बाकी 16 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दोषियों में सुरेश चंद्र शर्मा, निरंजन लाल, कमल सिंह, राम वीर सिंह, समी उल्लाह, महेश प्रसाद सिंह, जयपाल सिंह, राम धियान, अरुण कुमार, लीलाधर लोहनी, हमीर सिंह, कुंवर पाल सिंह, बुडा सिंह, बुद्धि सिंह, मोहकम सिंह और बसंत बल्लभ के नाम शामिल थे। 

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