16 राज्यों के वित्त-मुख्य सचिव तलब, वेतन समिति की रिपोर्ट का पालन न करने पर शीर्ष अदालत नाराज
शीर्ष अदालत ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों का पालन न करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने 17 राज्यों के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को 16 राज्यों के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया। शीर्ष अदालत ने उन्हें न्यायिक अधिकारियों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के बकाया भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों का पालन न करने के लिए हाजिर होने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एसएनजेपीसी की सिफारिशों पर अमल न होने पर कड़ी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, अब हम जानते हैं कि अनुपालन कैसे कराया जाता है। अगर हम केवल यह कहेंगे कि हलफनामा दाखिल न होने पर मुख्य सचिव मौजूद रहेंगे, तो वह दाखिल नहीं होगा।
पीठ ने आगे कहा, हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं। लेकिन उन्हें यहीं रहने दीजिए। फिर हलफनामा दाखिल किया जाएगा। अब उन्हें निजी रूप से पेश होने दीजिए। इसने कहा, हालांकि राज्यों को सात मौके दिए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्ण अनुपालन प्रभावी नहीं हुआ है और कई राज्य अभी भी चूक कर रहे हैं। अदालत ने कहा, मुख्य और वित्त सचिवों को निजी रूप से हाजिर होना होगा। अनुपालन न होने पर अदालत अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए विवश होगी।
उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक, पीठ ने आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, ओडिशा और राजस्थान के शीर्ष दो नौकरशाहों को 23 अगस्त को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
पीठ ने यह भी साफ कहा कि वह और विस्तार नहीं देगी। न्यायालय ने इन दलीलों पर संज्ञान लेने और वकील के. परमेश्वर द्वार उपलब्ध कराए गए नोट पर गौर करने के बाद यह आदेश पारित किया। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही उन्होंने राज्यों द्वारा मौजूदा और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को देय भत्तों पर कर (टैक्स) की कटौती का भी जिक्र किया।
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