157 वकीलों ने सीजेआई को भेजा ज्ञापन, निचली अदालतों के न्यायाधीशों के बीच कथित आंतरिक संचार पर जताई चिंता
ज्ञापन में बताया गया है कि जिला सत्र न्यायाधीश ने निचली अदालतों के अवकाशकालीन न्यायाधीशों से कहा था कि अदालतों में अवकाश के दौरान लंबित मामलों में आखिरी आदेश पारित न करें। वकीलों ने ज्ञापन में इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
नई दिल्ली (आरएनआई) 150 से अधिक वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को एक ज्ञापन भेजा है। इस ज्ञापन में मुख्य न्यायाधीश से एक मामले में अपने विचार व्यक्त करने का आग्रह किया गया है। दरअसल, यह मामला जिला सत्र न्यायाधीश से जुड़ा है। ज्ञापन में बताया गया है कि जिला सत्र न्यायाधीश ने निचली अदालतों के अवकाशकालीन न्यायाधीशों से कहा था कि अदालतों में अवकाश के दौरान लंबित मामलों में आखिरी आदेश पारित न करें। वकीलों ने अपने ज्ञापन में इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
यह ज्ञापन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के मद्देनजर भेजा गया है। अरविंद केजरीवाल को 20 जून को अवकाशकालीन न्यायाधीश नियाय बिंदु ने जमानत दी थी। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और अदालत ने जमानत आदेश पर रोक लगा थी। ज्ञापन में कहा गया है कि ‘दिल्ली उच्च न्यायालय और जिला सत्र न्यायालय में इस तरह के अनोखे प्रयास होते देखे गए हैं। इसलिए हम कानूनी बिरादरी की तरफ से ये ज्ञापन भेज रहे हैं।’
इस ज्ञापन में 157 वकीलों के हस्ताक्षर हैं। इसमें कहा गया है कि सत्र न्यायाधीश बिंदु ने मुख्य न्यायाधीश के हवाले से केजरीवाल को जमानत दी थी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के उस कथन का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया है कि निचली अदालतों को जल्द से जल्द फैसले लेने की आवश्यकता है ताकि वरिष्ठ अदालतों में मामलों का अंबार न लगे। ज्ञापन में आगे कहा गया है कि इसके अगले दिन प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में केजरीवाल की जमानत देने को चुनौती दी थी। ज्ञापन के अनुसार, राउज एवेन्यू कोर्ट का आदेश अपलोड होने से पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने हाईकोर्ट में चुनौती थी, जो कि पूर्ण रूप से अनियमित है।
ज्ञापन में सत्र अदालत के फैसले पर हाईकोर्ट की जल्द सुनवाई का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहले कभी भी देखने को नहीं मिला। कानूनी बिरादरी ने इस पर गहरी चिंता जताई है।’ ज्ञापन में दावा किया गया है कि एक कथित आंतरिक संचार हुआ है, जिसमें निचली अदालतों के अवकाशकालीन न्यायाधीशों को कोई बड़ा आदेश पारित नहीं करने के लिए कहा गया है। इस तरह से भारत के मुख्य न्यायाधीश के उस बयान की अवहेलना की गई है, जिसमें निचली अदालतों को त्वरित निर्णय लेने के लिए कहा गया था।
इस वजह से कई वकील अपने उन मामलों का निपटारा नहीं कर पाए, जो छुट्टियों में सूचीबद्ध थे। ज्ञापन में लिखा है, ‘हम वकीलों के प्रतिनिधि के रूप में ऐसे आदेश के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं।’ आपको बता दें कि दो जुलाई को दिल्ली वकील एसोसिएशन के वकीलों ने एक जिला न्यायाधीश से मुलाकात की थी और कथित आंतरिक संचार पर आपत्ति जताई थी।
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