15 साल में भारत ने लॉन्च किये तीन चांद मिशन

22 अक्तूबर, 2008 को भेजे गए चंद्रयान-1 में 90 किलो के 11 उपकरण थे। इसमें एक इम्पैक्टर और एक ऑर्बिटर मॉड्यूल था। इम्पैक्टर मॉड्यूलर को मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) नाम दिया गया।

Aug 24, 2023 - 07:00
 0  513
15 साल में भारत ने लॉन्च किये तीन चांद मिशन
China's E 4 rover maps 1000 feet of hidden structures deep below the dark side of the moon

बैंग्लोर। (आरएनआई) 15 साल में भारत ने चंद्रमा पर तीन अभियान भेजे हैं। पहले दो अभियानों में भारत को अलग-अलग स्तर पर सफलता और असफलता मिली। इनमें जो उपलब्धियां हमने हासिल कीं, उनका लोहा आज भी पूरी दुनिया मानती है। साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 अभियान ने जब चंद्रमा पर पानी की पहचान की, तो इसे अंतरिक्ष के इतिहास की प्रमुख खोजों में शुमार किया गया।
22 अक्तूबर, 2008 को भेजे गए चंद्रयान-1 में 90 किलो के 11 उपकरण थे। इसमें एक इम्पैक्टर और एक ऑर्बिटर मॉड्यूल था। इम्पैक्टर मॉड्यूलर को मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) नाम दिया गया। यह 14 नवंबर, 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद शेकल्टन क्रेटर के निकट चंद्र सतह से टकराया। इससे मिले डाटा ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि में मदद की। अभियान में भेजे गए 11 उपकरणों में से 5 भारत के थे तो बाकी को अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्वीडन, और बुल्गारिया ने बनाया था। ऑर्बिटर के जरिये 100 किमी ऊंचाई से चंद्र सतह की रासायनिक, खनिज संबंधी और भूगर्भीय मैपिंग की गई। इसने चंद्रमा की कुल 3,400 परिक्रमाएं कीं। इसकी उम्र 2 वर्ष मानी गई थी। हालांकि अगस्त, 2009 में इससे संपर्क टूट गया। इसे 2012 में चंद्रमा पर गिरना था, लेकिन 2016 में भी नासा ने इसे चंद्रमा की परिक्रमा करता पाया।
चंद्रमा पर धातु व खनिज पहचाने : चंद्रमा की चट्टानों में लोहे, पूर्व घाटी क्षेत्र में लौह तत्व रखने वाले खनिज पाइरॉक्सीन व अन्य स्थलों पर एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और कैल्शियम की पहचान की गई। 70 हजार तस्वीरें, रहस्यमयी पिरामिड : चंद्र सतह के 5 मीटर तक के रिजोल्यूशन की 70 हजार तस्वीरें ली गईं। तिकोने पिरामिड जैसे पहाड़ की तस्वीर की पूरी दुनिया में चर्चा हुई। लावे से बनी 360 मीटर तक लंबी गुफाएं खोजीं, जो भविष्य में बेस बनाने में उपयोगी साबित हो सकती हैं।
10 साल बाद भारत चंद्रयान-2 के जरिये चंद्रमा पर 22 जुलाई, 2019 को लौटा। इस बार ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए। इस अभियान का लक्ष्य ऑर्बिटर में लगे विभिन्न उपकरणों से चंद्रमा का वैज्ञानिक अध्ययन और चंद्र सतह पर लैंडर को उतारने व रोवर को चलाने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना था। भारत अधिकतर तकनीकी प्रदर्शन करने में सफल रहा। प्रक्षेपण, चंद्रमा की कक्षा में विभिन्न मार्ग परिवर्तन, लैंडर और ऑर्बिटर का अलग होना, डी-बूस्टिंग, रफ ब्रेकिंग सफलता से पूरे हुए। आखिरी चरण में लैंडर धीरे-धीरे उतरने के बजाय क्रैश हो गया।
अभियान की आंशिक असफलता की कुछ भरपाई ऑर्बिटर ने अपनी कुशलता से की, इसे एक साल कार्य करने के लिए बनाया गया था, लेकिन माना जा रहा है कि यह कम से कम सात वर्ष तक काम करता रहेगा। इस दौरान यह मूल्यवान वैज्ञानिक डाटा तैयार करेगा। चंद्रयान-3 से भी इसका संपर्क बीते सोमवार को हुआ और इसरो ने बताया कि उन्हें चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की वजह से चंद्रयान-3 के लैंडर से संपर्क साधने का एक और विकल्प मिल गया है।
चंद्रयान-3 के रोवर का नाम प्रज्ञान का मतलब है- बुद्धिमत्ता। इसे यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि रोवर को अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके जानकारी जुटानी है। यह 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से चलते हुए चांद के सतह की स्कैनिंग करेगा।
चंद्रयान-3 अभियान भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में मील का पत्थर बन गया है। बीते 9 वर्ष में भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी से तरक्की की है। एक दशक में भारत ने कई बेमिसाल उपलब्धियां हासिल की हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि भारत अब न केवल अपने अंतरिक्ष अभियानों को पूरा कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में लॉन्च कर रहा है। बीते 9 वर्ष में भारत ने 424 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया, जिनमें से 389 का प्रक्षेपण सफल रहा। इससे भारत को 3,300 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
बीते एक दशक में प्रतिवर्ष लॉन्च किए जाने वाले अभियानों की संख्या में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। 2014 तक भारत प्रतिवर्ष 1.2 अंतरिक्ष अभियान लॉन्च करता था, यह संख्या अब बढ़कर 5.7 हो गई है। भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषकों को प्रोत्साहन देने के क्रम में 2014 से पहले इसरो ने छात्रों के बनाए 4 उपग्रह लॉन्च किए थे, 2014 के बाद इसकी संख्या बढ़ कर 11 हो गई है। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलना भी बड़ी उपलब्धि है। 25 नवंबर, 2022 को इस पहल के तहत देश में पहला निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। इस पहल का नतीजा है कि आज भारत में 140 स्पेस स्टार्टअप काम कर रहे हैं।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.