12 राज्यों को नहीं मालूम गर्मी से कितने बीमार, नहीं दे रहे सूचना, केंद्र ने शुरू की रियल-टाइम रिपोर्टिंग
भीषण गर्मी से लोगों को कितना नुकसान हुआ है, बार-बार पत्र लिखने के बावजूद 12 राज्यों ने इसकी सूचना नहीं दी है। एनसीडीसी से पता चला है कि राज्यों के इसी बर्ताव से बचने के लिए केंद्र ने रियल टाइम रिपोर्टिंग को शुरू किया है, जिसके लिए इसी साल जनवरी माह में जिला स्वास्थ्य प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी दिया गया।
नई दिल्ली (आरएनआई) देश के 12 राज्यों को यह मालूम नहीं है कि अत्यधिक गर्मी से लोगों को कितना नुकसान हुआ। हर साल मार्च से जुलाई माह के बीच करीब 150 दिन गर्मी प्रभावित माने जाते हैं। नियमों के अनुसार इनमें से 100 दिन भी राज्यों से सूचना दिल्ली तक नहीं पहुंच पा रही। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि केंद्रीय एजेंसियों के पास प्रभावित जिलों की जमीनी स्थिति से जुड़े सटीक आंकड़े मौजूद नहीं है।
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) से पता चला है कि राज्यों के इसी बर्ताव से बचने के लिए केंद्र ने रियल टाइम रिपोर्टिंग को शुरू किया है, जिसके लिए इसी साल जनवरी माह में जिला स्वास्थ्य प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी दिया गया। बावजूद इसके स्थिति में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ है। अब केंद्र की ओर से बार-बार चिट्ठियां लिखी जा रही हैं।
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझा एक प्रस्तुति में एनसीडीसी ने बताया कि देश में लू प्रभावित 23 राज्य हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से जानकारी मौजूद नहीं है। साल 2022 और 2023 में भी यहां से सूचना नहीं मिली। 2022 में बाकी 11 राज्यों में हीट स्ट्रोक की वजह से 4,481 मामले दर्ज किए जिनमें 86 लोगों की मौत हुई। मार्च से जुलाई 2022 के बीच पूरे देश में हीट स्ट्रोक से कुल 1,856 संदिग्ध मौतें दर्ज की गईं। इसी तरह 2023 में 189 लोगों की मौत हुई है, जबकि संदिग्ध हीट स्ट्रोक के मामले 19402 सामने आए।
सभी राज्यों को सुबह आठ और रात को आठ बजे डाटा साझा करना है। दैनिक रिपोर्टिंग के आंकड़े देखें तो उत्तराखंड, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश ने अभी तक 153 में से 110 दिन जानकारी समय पर उपलब्ध कराई है, जबकि उत्तर प्रदेश 35, दिल्ली 12, बिहार 19, राजस्थान 20, केरल पांच और कर्नाटक व पश्चिम बंगाल ने एक भी दिन सूचना नहीं दी है।ज्यादातर राज्यों के सरकारी अस्पतालों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। सबसे बेहतर प्रदर्शन में गोवा के 41 (83%), गुजरात के 2,357 (98%), महाराष्ट्र के 3,359 (79%), ओडिशा के 1,715 (77%), तमिलनाडु के 3,449 (77%), तेलंगाना के 976 (99%) और पश्चिम बंगाल के 1,739 (66%) प्रा. स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। देश में सरकारी अस्पतालों की कुल संख्या 3.75 लाख है।
साल 2019 में केंद्र ने देश के 113 ब्लॉक का चयन कर एक अध्ययन कराया, जिसमें अत्यधिक गर्मी के दौरान ब्लॉक पर कितनी मौतें दर्ज होती हैं। इस अध्ययन में पता चला कि 40 से 45 डिग्री तापमान पर हर दिन औसतन 20 से 25 मौत दर्ज की गई जबकि इससे कम तापमान में यह संख्या 10 से नीचे थी। मौजूदा समय की बात करें तो अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर है। ऐसे में लोगों को गर्मी का जोखिम ज्यादा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
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