२०२३ के ग्रहण जानते है सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से
इस वर्ष संवत् २०८० के अंतर्गत भू-मंडलीय ६ ग्रहण है। इनमें से ३ सूर्यग्रहण, १ चन्द्र ग्रहण एवं २ मान्द्य चंद्र ग्रहण होंगे। परन्तु भारतवर्षीय भू-भाग में ३ सूर्य ग्रहण एवं १ मान्द्य चंद्र ग्रहण दृश्य नहीं होंगे तथा १ चन्द्र ग्रहण और १ मान्द्य चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य होगा।
विशेष बात ये है की भारत में अदृश्य ग्रहण हेतु वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम एवं जप अनुष्ठान हेतु मान्यता नहीं होगी। इस विषयक धर्मशास्त्रीय वचने विशेष यह की -
।। द्विपान्तारे ग्रहण सत्वेऽपिदर्शनयोग्यत्वायान्न पुण्यकालः ।।
अर्थात - हालांकि ग्रहण द्वीप में है, फिर भी यह पवित्र समय नहीं है।
ग्रहण जो भारत में दृश्य नहीं होंगे -
१. सूर्य ग्रहण- संवत् २०५० वैशाख कृष्ण पक्ष ३० गुरुवार।
दिनांक : २०.४.२०२३ को कंकण , खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण समय : भारतीय समय से ग्रहण का स्पर्श प्रातः ८:०७ बजे एवं मोक्ष दिन में ११:२७ बजे होगा।
ग्रहण कहा से दृश्य होगा: यह ग्रहण उत्तरी अन्टार्कटिका, इंडियन ओसियन, आस्ट्रेलिया, उत्तरी न्यूजीलैंड, इंडोनेसिया, फिलिपिन्स आदि में दृश्य होगा।
यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इससे भारत में ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य नहीं होंगे।
२. सूर्य ग्रहण- संवत् २०५० आश्विन कृष्ण पक्ष ३० शनिवार।
दिनांक: १४.१०.२०२३ को कंकण ,खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण समय : भारतीय समय से ग्रहण का स्पर्श रात्रि ९: ४० बजे एवं मोक्ष रात्रि १ : १६ बजे होगा।
ग्रहण कहा से दृश्य होगा : यह ग्रहण उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका तथा पश्चिमी ग्रीनलैंड आदि में दृश्य होगा।
यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इससे भारत में ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम-नियम मान्य नहीं होंगे।
३. मान्द्य चन्द्र ग्रहण - संवत् २०६० फाल्गुन शुक्ल पक्ष।
१५ सोमवार दिनांक २५.३.२०२४ को मान्द्य चन्द्र ग्रहण होगा।
ग्रहण समय : भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश दिवा १०: २३ बजे एवं विरल छाया निर्गम दिवा ३:०२ बजे होगा।
ग्रहण कहा दृश्य होगा :यह ग्रहण उत्तरी अफ्रीका, एशिया महाद्वीप, रूस, भारत एवं इन के मध्य के देशों को छोड़कर अन्य देशों में दृश्य होगा। यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा साथ ही यह एक उपछाया ग्रहण है इससे ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य नहीं होंगे।
४. खग्रास सूर्य ग्रहण- संवत् २०६० चैत्र कृष्ण पक्ष ३० सोमवार।
दिनांक ८.४.२०२४ को खग्रास सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण समय: भारतीय समय से ग्रहण का स्पर्श रात्रि १०:०६ बजे एवं मोक्ष रात्रि १:२६ बजे होगा।
ग्रहण कहा दृश्य होगा: यह ग्रहण नॉर्थ-साउथ पेसिफिक, उत्तरी अमेरिका, ग्रिनलैंड, आर्कटिक समुद्र, आइसलैंड, उत्तर अटलांटिक समुद्री क्षेत्र में दृश्य होगा।
यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इससे भारत में ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य नहीं होंगे।
भारत में दृश्य होंगे निम्न ग्रहण
१. मान्द्य चन्द्र ग्रहण - संवत् २०६० वैशाख शुक्ल पक्ष १५ शुक्रवार
दिनांक ५.५. २०२३ को मान्छ चन्द्र ग्रहण होगा।
ग्रहण समय : भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश रात्रि ८:४४ बजे एवं विरल छाया निर्गम रात्रि १ : ०२ बजे होगा।
ग्रहण कहा से दृश्य होंगे : यह ग्रहण रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, फिनलैंड, जर्मनी, अफ्रीकी महाद्वीप, पाकिस्तान, चीन, मंगोलिया, आस्ट्रेलिया, अन्टार्कटिका एवं इन के मध्य के देशों और भारत में दृश्य होगा। परन्तु यह एक उपछाया ग्रहण है इससे ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य नहीं होंगे। इस ग्रहण से भारत के कई राज्यों में व इंगलैंड, डेनमार्क, श्रीलंका, सीरिया, नेपाल, पोलैंड, फिलिपींस व पूर्वी प्रान्त में रोग , पशुओं में बीमारी , झगड़ें ,तूफान, अच्छी वर्षा होगी।
२. खंडग्रास चन्द्र ग्रहण - संवत् २०५० आश्विन शुक्ल पक्ष १५ शनिवार
दिनांक २८.१०.२०२३ को खंडग्रास चन्द्र ग्रहण होगा।
ग्रहण समय: भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश रात्रि ११:३२ बजे ग्रहण का स्पर्श रात्रि १:०५ बजे, मध्य रात्रि १ : ४४ बजे, मोक्ष रात्रि २ : २३ बजे, विरल छाया निर्गम रात्रि ३ : ५६ बजे होगा।
सूतक काल : इसका सूतक भारतीय समय से दिन में ४:०५ बजे से प्रारम्भ होगा।
ग्रहण कहा से दृश्य होगा : यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका का पश्चिमी भाग को छोकर सम्पूर्ण विश्व में दृश्य होगा। जहां ग्रहण दृश्य होगा उन्हीं स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य होंगे।
ग्रहण के सूतक काल के नियम: ग्रहण के सूतक काल में भोजन, शयन, मूर्ति स्पर्श, हास्य-विनोद का निषेध है। ग्रहण स्पर्श के समय स्नान, ग्रहण मध्य के समय देव-पूजन, तर्पण, श्राद्ध, जप, हवनादि करें। जब ग्रहण कम होने लगे उस समय यथा-शक्ति दान करें। ग्रहण मोक्ष होने पर पुनः स्नान करें। ग्रहण स्नान के समय कोई भी मन्त्र नहीं बोलना चाहिये। गर्भवती स्त्रियों को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए। जनन एवं मरण अशीच होने पर भी ग्रहणपरक स्नानादि कृत्य करने चाहिये। ग्रहण काल में दीक्षा लेने से मुहूर्त की आवश्यकता नहीं रह जाती।
किस राशि पर ग्रहण का प्रभाव कैसा रहेगा
विविध राशियों पर ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव रहेगा।
यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर हो रहा है इससे इस नक्षत्र एवं राशि वालों को रोग, कष्ट, पीड़ा आदि फल हो। जिन राशियों वालों को ग्रहण अशुभ फल कारक है उन को ग्रहण का दर्शन करना उपयुक्त नहीं है।
नष्ट, अशुभ : मेष, वृषभ, कन्या, मकर।
सामान्य, मध्यम : सिंह, तुला, धनु, मीन।
शुभ, सुखद : मिथुन, कर्क, वृश्चिक, कुम्भ।
इस ग्रहण का क्या असर होगा बाजार पर :
प्रत्येक प्रकार के अन्न में मंदी। सरसों, अलसी, गुड़, शकर, सोना, चांदी, शेयर, घी, रुई, मसूर, खांड, सब्जियों , रसदार पदार्थ, सूत में तेजी।
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