हिमाचल के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा- चुनाव जनता लड़ रही, जनता ही जीतेगी
अब चार लोकसभा सीटों पर भाजपा की हैट्रिक को रोकने के साथ-साथ छह विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में उनका कड़ा इम्तिहान है।
नादौन (आरएनआई) मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही माह बाद सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा का जिस धैर्य व साहस से सामना किया, उसी का परिचय उन्होंने सरकार के तख्तापलट की कोशिश को नाकाम करने में भी दिया। अब चार लोकसभा सीटों पर भाजपा की हैट्रिक को रोकने के साथ-साथ छह विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में उनका कड़ा इम्तिहान है। प्रचार की कमान संभाले सुक्खू विरोधियों के खिलाफ आक्रामक हैं और सीधे-सीधे इसे जनबल की धनबल से लड़ाई करार दे रहे हैं। वह विश्वस्त हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है और सभी छह विधानसभा सीटें कांग्रेस जीतेगी, क्योंकि यह चुनाव वह नहीं, जनता लड़ रही है।
यह चुनाव ऐसी परिस्थितियों में होने जा रहा है कि आम चुनाव न होकर विशेष चुनाव बन गया है। जब कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हिमाचल की जनता ने दिया, 40 सीटें चुनकर आईं और पांच साल तक हमें काम करने का मौका दिया गया, फिर ऐसी क्या परिस्थितियां हुईं कि राज्यसभा चुनाव से पहले छह कांग्रेसी विधायक राजनीतिक मंडी में बिके। खरीदने वाली वह पार्टी थी जिसने उन्हें टिकट दिए। क्या सौदा हुआ? हिमाचल की जनता जो देवी देवताओं में विश्वास करती है, इस प्रकार की राजनीति के खिलाफ है। एक जून को जब वह वोट देने जाएगी तो यह बात सोचकर जाएगी कि जो उनके वोट को राजनीति की मंडी में बेचते हैं उन्हें सबक सिखाना है। इस बार के चुनाव जनता लड़ रही है, जनता जीतेगी, धनबल हारेगा।
2014 व 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी थे। हमने प्रयास किया था लेकिन चारों सीटें हार गए। भाजपा दस साल से लोकसभा की सीटें जीत रही है। इस बार ऐसा नहीं होगा। यह चुनाव सरकार के कामकाज की भी परीक्षा है। 15 महीने में सरकार ने जनता से जुड़े कार्य किए हैं, कई योजनाओं को लागू किया है तो गलत क्या किया। गलत तो भारतीय जनता पार्टी ने किया कि कांग्रेस के छह विधायक खरीदे और नोट के दम पर सत्ता की कुर्सी हथियाने की कोशिश की। हमने महिलाओं को 1500-1500 रुपये दिए तो भाजपा ने इसका विरोध किया और चुनाव आयोग से शिकायत की, इसे रुकवाया। कहा गया कि फार्म भरवा सकते हैं, तो हम फार्म भरवा रहे हैं। 2 लाख 37 हजार महिलाओं के अकांउट में पैसा डल चुका है। जून से सभी महिलाओं को मिल जाएंगे।
हमारे 34 विधायक हैं, भाजपा के 25 विधायक हैं। मान लीजिए गलती से अगर यह (छह भाजपा प्रत्याशी) जीत भी जाते हैं तो 31 और 34 हो जाएंगे। हिमाचल की जनता इन छह के छह को बुरी तरह हराएगी क्योंकि वह धनबल को अधिमान नहीं देती। इस बार एक आम परिवार का आदमी मुख्यमंत्री बना है। छह की छह सीटें निचले हिमाचल से आती हैं और 75 साल में पहली बार निचले हिमाचल से कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री बना है। इन छह का बुरा हाल होने वाला है। तीन आजाद विधायकों का भी अभी चुनाव होना है। यह भी आजाद भारत की पहली घटना होगी कि आजाद विधायक विधानसभा के गेट के बाहर धरना दे रहे हैं और कोर्ट में जा रहे हैं कि हमारा इस्तीफा स्वीकार किया जाए। इसका मतलब क्या हुआ? मतलब है कि कुछ लेनदेन हुआ है।
वह भविष्यवक्ता तो हैं नहीं। चार जून को तो हिमाचल की जनता ही तय करेगी। जो कमल बिक चुका है, वह खिलेगा कैसे। बिका हुआ कमल कभी खिलता नहीं।
आपके पास क्या इसके कोई सबूत हैं। भाजपा कहती है यह आरोप आधारहीन हैं।
मैं जानना चाहता हूं कि वे विधायक एक महीना हिमाचल में नहीं रहे, किसने उनका खर्चा उठाया, हेलिकॉप्टर बुक किए। उसके बाद उन्हें भाजपा में शामिल किया गया। सभी को टिकट दे दिए गए और आज वह चुनाव लड़ रहे हैं। तो क्या यह प्रूफ नहीं है? यही तो प्रूफ है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि अग्निवीर को लेकर कांग्रेस गलत तथ्य पेश कर रही है, राहुल गांधी झूठ कह रहे हैं जबकि इससे बहुत फायदा होने वाला है। आप क्या कहेंगे ?
ऐसा नहीं है। 75 साल में पहली बार अग्निवीर जैसी योजना आई। अग्निवीर योजना को लागू करने की क्या जरूरत थी ? चार साल बाद वह घर आ जाएंगे। न शहीद का दर्जा मिलेगा, न कैंटीन की या कोई और सुविधा मिलेगी, तो वह चार साल बाद करेंगे क्या? छोटी उम्र में भर्ती होकर क्या फायदा होगा ? वह (भाजपा नेता) कह रहे हैं कि हम इन्हें पैरामिलिट्री फोर्सेस में दस प्रतिशत का आरक्षण देंगे। फौज को कांट्रैक्ट पर बनाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। यह देश की सुरक्षा व गोपनीयता का प्रश्न है।
ठीक कहा। हिमाचल की राजनीति में यह भी पहली बार हुआ है कि छह विधायक भाजपा का कमल खरीदकर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर सच बोलने में कोई दिक्कत है तो समस्या है? बिके हुए बोलना सत्य है और सत्य बोलने में कोई अपराध नहीं होता। यह निम्न स्तर नहीं, यह सत्य है। हाथ बेचा और कमल खरीदा। आप ही बताइये... भाजपा ने ईमानदार कार्यकर्ताओं को नहीं पूछा, नेताओं को नहीं पूछा। सौदा हुआ न। तो सौदे को बिके हुए ही बोलेंगे।
कांग्रेस और भाजपा के दोनों ही उम्मीदवार युवा हैं। कोई ऐसी बात नहीं। राजनीति में जब एक पर आरोप लगता है तो दूसरा उसका जवाब देता है। जिस ढंग का आरोप उन्होंने जिस तरीके से लगाया था, उसका उसी ढंग से जवाब मिला।
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