हाथरस कांड : मौत की 'आंधी' के बाद मधुकर फोन बंद करके इसलिए भागा दिल्ली की ओर, साथ में थे सेवादार
सत्संग के बाद जब भगदड़ मची और मधुकर को पता चला कि लोगों की मौत हो गई है तो वह अपने कुछ खास सेवादारों को लेकर मौके से भाग गया। अपने और साथियों के सभी मोबाइल भी बंद करा दिए थे। घरों पर भी सूचना दे दी थी कि वह सभी कहीं चले जाएं। पुलिस का कहना है कि सत्संग के दौरान जब पुलिस कर्मी पंडाल में जाने को हुए तो उन्हें रोक दिया गया। इतना ही नहीं वीडियोग्राफी जब करने की कोशिश की गई तो सेवादार पुलिस की टीम से भिड़ गए थे। इन लोगों ने न तो खुद व्यवस्था संभाली और न ही पुलिस को संभालने दी।
हाथरस (आरएनआई) सत्संग के बाद जब भगदड़ मची और मधुकर को पता चला कि लोगों की मौत हो गई है तो वह अपने कुछ खास सेवादारों को लेकर मौके से भाग गया। अपने और साथियों के सभी मोबाइल भी बंद करा दिए थे। घरों पर भी सूचना दे दी थी कि वह सभी कहीं चले जाएं। पुलिस का कहना है कि सत्संग के दौरान जब पुलिस कर्मी पंडाल में जाने को हुए तो उन्हें रोक दिया गया। इतना ही नहीं वीडियोग्राफी जब करने की कोशिश की गई तो सेवादार पुलिस की टीम से भिड़ गए थे। इन लोगों ने न तो खुद व्यवस्था संभाली और न ही पुलिस को संभालने दी।
सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सत्संग के बाद हुए हादसे के बाद मुख्य आयोजक देवप्रकाश ने जैसे ही मौतों का मंजर देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। पुलिस सूत्रों ने बताया कि देवप्रकाश ने आनन-फानन तत्काल अपने फोन को बंद कर लिया और मौके से भाग खड़ा हुआ। देव प्रकाश यहां से निजी वाहन से एटा और वहां से दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली में देवप्रकाश का साला एक निजी कंपनी में नौकरी करता है। घटना के बाद से यह अपने साले के यहां रह रहा था।
पता चला है कि देवप्रकाश मधुकर ने एसडीएम सिकंदराराऊ के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए जो आवेदन किया था, उसमें 80 हजार लोगों के आने की उम्मीद जताई थी। लेकिन आयोजकों ने यहां डेढ़ लाख से भी अधिक की भीड़ इकट्ठा कर ली। भीड़ में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। पंडाल में जितने लोग बैठे थे उससे ज्यादा पंडाल के बाहर थे। पुलिस का कहना है कि भगदड़ में मरने वाले सभी 121 लोग पंडाल के बाहर ही बैठे थे। पंडाल वाले लोग तो उस वक्त तक बाहर आ ही नहीं आ सके थे।
हाथरस एसपी निपुण अग्रवाल ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि आयोजकों ने भीड़ के बीच से बाबा का काफिला गुजारा था। इससे ही हालात बिगड़ गए। दूसरे सेवादारों ने भी भीड़ के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे भगदड़ मची। एसपी का कहना था कि अब तक की पूछताछ में जो पता चला है उसके मुताबिक सेवादार आसपास के लोगों को भी मदद नहीं करने दे रहे थे। वह मददगारों से भी भिड़ गए थे। जब सेवादारों को लगा कि हालात बेकाबू हो गए हैं तो सभी भागने लगे। मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर भी अपने साथियों को लेकर मौके से फरार हो गया था। बाद में किसी से संपर्क भी नहीं किया। एसपी ने बताया कि उसे हाथरस पुलिस ने ही दिल्ली से गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
आयोजकों ने ऐसे बिगाड़े हालात
-80 हजार की भीड़ जुटने की बात कही लेकिन इकट्ठा की डेढ़ लाख
-पंडाल में जितने लोग थे, उससे ज्यादा बाहर बैठा दिए गए थे
-पानी का भी पर्याप्त इंतजाम इनके द्वारा नहीं किया गया
-भीड़ के बीच से बाबा के काफिले को गुजारा गया था
-पुलिस वालों को वीडियोग्राफी तक नहीं करने दी गई
-भीड़ को बाबा के काफिले से दूर करने के लिए धक्का-मुक्की की गई
-कई सेवादारों ने लोगों पर लाठियां तक भांजी थीं
-भगदड़ में गिरीं महिलाओं की सुध तक किसी ने नहीं ली
-मदद करने की बजाय सभी मौके से हो गए थे फरार
-आयोजकों द्वारा भगदड़ की सूचना भी प्रशासन को नहीं दी गई
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