हाथरस कांड : कुछ खुलासों के बाद एसटीएफ जुटा रही है इनपुट, ईडी को भेजा जा सकता है बाबा का ब्योरा

भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के संगठन से जुड़े मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के राजनीतिक संबंध और फंडिंग का तथ्य सामने आना कुछ बड़ा इशारा कर रहा है। इसी दिशा में पहले से काम कर रही एसटीएफ ने अपने प्रयास और तेज कर दिए हैं। यूपी एसटीएफ प्रदेश के साथ-साथ देश भर में बाबा की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है। देवप्रकाश सरीखे सभी आयोजकों के फंडिंग संपर्क, राजनीतिक संबंध आदि खंगाले जा रहे हैं। संकेत यहां तक हैं कि यह पूरा ब्योरा एकत्रित कर इसकी तह तक जाने के लिए ईडी तक को जांच में शामिल किया जा सकता है। ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके कि बाबा ने महज 35 वर्ष में इतना बड़ा साम्राज्य कैसे और किन लोगों के सहयोग से खड़ा किया।

Jul 7, 2024 - 05:00
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हाथरस कांड : कुछ खुलासों के बाद एसटीएफ जुटा रही है इनपुट, ईडी को भेजा जा सकता है बाबा का ब्योरा

हाथरस (आरएनआई) भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के संगठन से जुड़े मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के राजनीतिक संबंध और फंडिंग का तथ्य सामने आना कुछ बड़ा इशारा कर रहा है। इसी दिशा में पहले से काम कर रही एसटीएफ ने अपने प्रयास और तेज कर दिए हैं। यूपी एसटीएफ प्रदेश के साथ-साथ देश भर में बाबा की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है। देवप्रकाश सरीखे सभी आयोजकों के फंडिंग संपर्क, राजनीतिक संबंध आदि खंगाले जा रहे हैं। संकेत यहां तक हैं कि यह पूरा ब्योरा एकत्रित कर इसकी तह तक जाने के लिए ईडी तक को जांच में शामिल किया जा सकता है। ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके कि बाबा ने महज 35 वर्ष में इतना बड़ा साम्राज्य कैसे और किन लोगों के सहयोग से खड़ा किया।

न्यायिक आयोग ने नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ से हुई 121 मौतों की जांच शुरू कर दी है। आयोग की टीम शनिवार को हाथरस पहुंची और शीर्ष अधिकारियों से मिलने के अलावा घटनास्थल व अस्पतालों में पहुंचकर जानकारी जुटाई। हाथरस पुलिस ने इस मामले में दो और आरोपियों संजू यादव व रामप्रकाश शाक्य को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार देर रात पकड़े गए मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर और संजू यादव को पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। शाक्य को रविवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले में अब तक नौ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। 

हाथरस हादसे में 121 मौतों के बाद बेशक भोले बाबा उर्फ सूरजपाल को अभी तक क्लीनचिट मिली हुई है। न तो बाबा का मुकदमे में नाम है और न एसआईटी ने बयान के लिए बुलाया है। हां, बाबा के अधिवक्ता ने जरूर आकर एसआईटी के समक्ष अपना पक्ष रखा। मगर जैसे जैसे तथ्य सामने आते जा रहे हैं, वैसे वैसे यूपी पुलिस की जांच उसी दिशा में आगे बढ़ रही है। संकेत हैं कि जांच की यही दिशा किसी दिन बाबा पर शिकंजे का काम करेगी। खुद घटना के दूसरे दिन हाथरस पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनीतिक संबंधों, साजिश आदि की ओर इशारा किया था। यहां तक कहा था कि सभी लोग जानते हैं कि किन नेताओं से बाबा के संबंध हैं। उसके बाद से एसटीएफ को काम पर लगाया गया है। जो बाबा के साम्राज्य, धन संग्रह के तरीके, धन के ब्योरे, संपत्तियों आदि पर काम कर रही है।

बाबा, उसके संगठन की अब तक की जांच और देवप्रकाश से हुई पूछताछ में उजागर हुआ है कि आयोजन समिति में सिर्फ सरकारी सेवकों और व्यापारी-कारोबारी लोगों को रखा जाता है। ये लोग खुद अपने पास से धन देते हैं। साथ में अपने अपने प्रभाव क्षेत्र में धन एकत्रित करके देते हैं। हालांकि धन एकत्रित करते समय कोई दबाव नहीं होता। जिसकी जैसी इच्छा उतना धन लिया जाता है। यह धन होता तो आयोजन के खर्च के नाम पर एकत्रित होता है। मगर इसका कोई ब्योरा नहीं होता कि कितना धन एकत्रित हुआ और कितना आयोजन पर खर्च हुआ। क्योंकि तमाम जरूरी संसाधन तो ऐसे भी होते हैं जो बाबा के भक्त लोग खुद ही मुहैया करा देते हैं। इसके बाद धन कहां जाता है। उसका प्रयोग कौन करता है। यह अपने आप में सवाल है। गिरफ्तार मुख्य आयोजक सहित ऐसे अन्य आयोजकों के खातों को दिखवाया जा रहा है। उनसे जुड़े अन्य लोगों के खातों को दिखवाया जा रहा है। साथ में बाबा की संपत्तियों, उसके खर्चों आदि को भी देखा जा रहा है। गाड़ियाें तक का ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है। सुरक्षा गार्डों पर होने वाले खर्च की जानकारी जुटाई जा रही है। साथ में मुख्य आयोजकों के करीबी रिश्तेदारों, उनके खास लोगों के खातों व उनके लेनदेन पर भी नजर रखी जा रही है।

किराये पर रहकर पुलिस में नौकरी करने वाला बाबा सूरजपाल इतने बड़े साम्राज्य का मालिक 1990 के बाद से अब तक हुआ है। इसी दिशा में जांच तेज हो रही है कि ये संपत्तियां किसके सहयोग से जुटाई गई हैं। मददगार कौन कौन हैं। राजनीतिक सहयोग किस तरह से होता है। सरकारी सेवकों और धनाढ्यों को ही आयोजन समिति में क्यों रखा जाता है।

सिकंदराराऊ के जिस आयोजन में यह हादसा हुआ है, उसमें अधिकतर सरकारी सेवक हैं। जिनमें सबसे बड़ी संख्या शिक्षकों व लेखपालों की है। ये भी अपने आप में जांच का विषय है। मुकदमे में वे लोग गिरफ्तार होंगे तो उनके खातों और उनके द्वारा जुटाए गए धन आदि का ब्योरा एकत्रित किया जाएगा।

मुख्य सेवादार के बयानों में फंडिंग, मनी ट्रेल, राजनीतिक संबंध आदि जानकारियां मिली हैं। अब ये कहां, कैसे और किनसे हैं? कौन मददगार हैं? फंडिंग कहां कैसे किसके माध्यम से होती है? ये सब जांच में साफ होगा। इसमें अन्य एजेंसियों की भी जरूरत के अनुसार मदद ली जाएगी।
- निपुण अग्रवाल, एसपी हाथरस।

गांव फुरलई मुगलगढ़ी में हुए हादसे की जांच करने आए न्यायिक आयोग के सदस्यों को अधिकारियों ने सड़क किनारे वह गड्ढा और नाली दिखाई, जिसमें गिरकर सर्वाधिक मौतें हुईं। सीओ डॉ. आनंद यादव और कोतवाली निरीक्षक आशीष कुमार सिंह ने टीम को बताया कि पानी के छिड़काव के कारण सड़क से नीचे फुटपाथ पर कीचड़ हो गया था। भीड़ बचने के लिए खाली खेत की तरफ भागी तो फिसलन के कारण श्रद्धालु नाली में गिरते गए। कुछ नाली से निकलकर दलदली खेत में पहुंच गए। जो नाली में गिरे, लोग उन्हें पांवों से रौंदते हुए आगे बढ़ते गए। खेत में दलदल होने के कारण महिलाएं वहां चल नहीं सकीं और गिर गईं। ज्यादातर मौतें यहीं पर हुईं। सड़क पर बेहोश हुई महिलाओं के ऊपर फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पानी डाला गया, जिसके बाद काफी महिलाएं होश में आ गईं। 

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