हाईकोर्ट ने विस्तारा और एयर इंडिया के विलय के खिलाफ याचिका खारिज की
अदालत ने कहा सच्चाई की परवाह किए बिना दावे किए गए हैं और ऐसा लगता है कि इन्हें हेरफेर या गुमराह करने के लिए डिजाइन किया गया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) उच्च न्यायालय ने टाटा एसआईए एयरलाइंस (विस्तारा) और एयर इंडिया के विलय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने 5 जुलाई को पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता कैप्टन दीपक कुमार की याचिका में निराधार और लापरवाह आरोप शामिल हैं, जिनका सबूतों से समर्थन नहीं है, बल्कि दुर्भावना से प्रेरित हैं।
अदालत ने कहा सच्चाई की परवाह किए बिना दावे किए गए हैं और ऐसा लगता है कि इन्हें हेरफेर या गुमराह करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह दृष्टिकोण न केवल याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता को बदनाम करता है बल्कि कानूनी व्यवस्था पर भी अनावश्यक रूप से बोझ डालता है।
इसलिए न्यायालय के विचार में किसी भी पुष्ट दावे की अनुपस्थिति और आरोपों के पीछे स्पष्ट दुर्भावनापूर्ण के इरादे को देखते हुए वर्तमान याचिका में योग्यता का अभाव है। हाल ही में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की झूठी शपथ लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने की दीपक कुमार की याचिका को खारिज कर दिया था।
उस मामले में खंडपीठ ने कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाया था और स्थानीय पुलिस अधिकारी को उन पर नजर रखने के लिए कहा था। वर्तमान मामले में कुमार ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें विस्तारा और एयर इंडिया के विलय के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
उन्होंने दो एयरलाइनों के विलय में बोली में धांधली और गुटबाजी का आरोप लगाया। मामले पर विचार करने के बाद, न्यायमूर्ति नरूला ने कुमार की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति भी याची की मानसिक स्थिति के पहलू पर खंडपीठ की टिप्पणियों से भी सहमत थे।
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