हरदोई संसदीय सीट पर हो सकता है सपा भाजपा में रोचक मुकाबला
हरदोई (आरएनआई) उप्र राज्य के मध्य में ह्रदय के समान विराजमान ऐतिहासिक व धार्मिक पृष्ठभूमि के तमाम अतीतों को अपने में समेटे हरदोई जनपद तमाम धार्मिक स्थलो का संगम है। यहां भगवान नारायण ने दो बार अवतार लिया था ऐसा विद्वानों का मत है।एक बार वावन भगवान के रूप में दूसरा भगवान नरसिंह के रूप में अवतरित हुए। हरदोई को राक्षस राज हिरण्यकश्यप की राजधानी बताया गया है। यहां भगवान नारायण ने नरसिंह के रूप में अवतरित होकर अपने भक्त प्रह्लाद को बचाते हुए हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था।और प्रहलाद को राजा बना दिया था। ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों से परिपूर्ण जनपद हरदोई का मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश काल तक का लम्बा इतिहास रहा है। आजादी की जंग में हरदोई के लालों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये।ऐसी तमाम गौरव गाथाये हरदोई को कोई बिशेष स्थान नहीं दिला सकी। यहां आज भी अन्ना जानवर, स्वास्थ्य, शिक्षा,सड़क , बेरोजगारी जैसे मुद्दे बने हुए हैं। हरदोई की कुल आबादी 2011की जनगणना के अनुसार 4092845 है जिसमें 2141442पुरुष व1901403महिलाये है। जिले की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती हैं।कुल आबादी में से 3591954 आबादी गांवों में रहती हैं।जिसका मुख्य धंधा खेती-बाड़ी है।राजनैतिक दृष्टि से हरदोई की बात की जाये तो यह जनपद 2लोकसभा व 8विधानसभाओ में विभक्त हैं। शासन सत्ता में रहते हुए भी जनप्रतिनिधियों ने यहां उद्योग धंधों में रूचि नहीं दिखाई।इस कारण जनपद को जिस गति से विकास करना चाहिए था नहीं कर सका। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते जनपद में उद्योग धंधों की भारी कमी है।इस कारण जनपद का पढ़े लिखे बेरोजगार युवक दूसरे राज्यों में जाकर मेहनत मजदूरी करने को मजबूर हैं। आजादी के बाद हरदोई में 1952मे संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ।2008के परिसीमन में 5विधानसभा सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई,गोपामऊ, सांडी को जोड़कर हरदोई लोकसभा सीट का गठन हुआ है। परिसीमन से पूर्व शाहाबाद व हरदोई संसदीय क्षेत्र हुआ करते थे।2008के परिसीमन में शाहाबाद संसदीय क्षेत्र को समाप्त कर मिश्रिख लोकसभा का गठन किया गया है जिसमें हरदोई की तीन विधानसभा मल्लावां, बालामऊ, संडीला कानपुर जिले की बिल्लौर व सीतापुर जिले की मिश्रिख विधानसभा को जोड़ा गया है। हरदोई लोकसभा सीट आजादी से लेकर अब तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट रही है। राजधानी लखनऊ से सटे जनपद होने के नाते इस सीट का खासा महत्व रहा है।इस बार जनपद के 30,21034 मतदाता दोनों सीटों पर मतदान करेंगे।1952मे हरदोई संसदीय क्षेत्र के गठन के बाद पहले आम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बुलाकी राम वर्मा पहले सांसद चुने गये।1957के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ से दारोहर शिवदीन सांसद निर्वाचित हुए। लेकिन इसी बर्ष में हुये उपचुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे छेदालाल ने यह सीट जनसंघ से छीन ली।1962के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने किंदरलाल को अपना प्रत्याशी बनाया। किंदरलाल ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को जीत दिलाई।सन 1967व 1971के लोकसभा चुनाव में भी किंदरलाल कांग्रेस के सांसद बने रहे।1977के लोकसभा चुनाव में जनता दल से चुनाव लड़ें परमाईलाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे किंदरलाल को पराजित कर आसंदी छीन ली।1980के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस आई से मन्नीलाल सांसद निर्वाचित हुए।1984मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर काफी लम्बे समय बाद संसद पहुंचे।1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट से लड़ें परमाईलाल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से यह सीट झटक ली।1991के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जयप्रकाश रावत को अपना प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस ने मितान को चुनावी मैदान में उतारा। जयप्रकाश रावत ने 133025 मत प्राप्त कर कांग्रेस प्रत्याशी को 38257 मतों से पराजित कर भाजपा को पहली बार जीत दिलाई।1996के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने जयप्रकाश रावत को प्रत्याशी बनाया इस बार भी जयप्रकाश अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।दूसरे नम्बर पर बीएसपी से श्याम प्रकाश रहे।1998के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का उदय हुआ।सपा ने ऊषा वर्मा को प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान में उतारा। ऊषा वर्मा ने सपा का विजय पताका फहराते हुए 206634मत प्राप्त कर भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश रावत को 73318मतो के भारी अन्तर से हरा दिया।इस हार के बाद भाजपा का हौसला पस्त हो गया।1999के मध्यावधि चुनाव में नरेश अग्रवाल द्वारा कांग्रेस तोड़ कर लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया।इधर भाजपा छोड़कर आये जयप्रकाश रावत को अपना प्रत्याशी घोषित किया जयप्रकाश रावत ने ऊषा वर्मा को करारी शिकस्त देते हुए अपना पुराना हिसाब किताब चुकता कर लिया। 2004के चुनाव में सपा ने फिर ऊषा वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा ऊषा वर्मा ने 234450 मत प्राप्त कर बीएसपी प्रत्याशी शिवप्रसाद वर्मा को 43242मतो के अन्तर से हरा दिया।भाजपा इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही।2009के लोकसभा चुनाव में सपा की सीट पर उतरी ऊषा वर्मा ने फिर 294030मत प्राप्त कर बीएसपी प्रत्याशी रामकुमार कुरील को 92935मतो के भारी अन्तर से हरा दिया।भाजपा से चुनाव लड़ें पूर्णिमा वर्मा को मात्र 54115मतो पर ही संतोष करना पड़ा।2014 के चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर आये अंशुल वर्मा ने 360501 मत प्राप्त कर बसपा प्रत्याशी शिवप्रसाद वर्मा को 81343मतो से हराकर भाजपा को जीत दिला दी।सपा इस बार तीसरे नम्बर पर चली गयी।2019के चुनाव में सपा छोड़कर घर वापसी करनें वाले जयप्रकाश रावत को भाजपा ने एक बार फिर प्रत्याशी बनाया। जयप्रकाश रावत ने एक बार फिर जीत दर्ज कराते हुए सीट भाजपा की झोली में डाल दी।2014के चुनाव के बाद सपा लगातार जीत के लिए संघर्षरत हैं। समाजवादी पार्टी ने 2024चुनाव के लिए फिर एक बार ऊषा वर्मा को प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान में उतारा है।वहीं भाजपा समेत अन्य दलों ने अभी अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।इस सीट पर अगड़ा व पिछड़ा वोट निर्णायक भूमिका में रहता है। फिलहाल बर्तमान परिदृश्य पर नजर डाली जाय तो यहां से सपा भाजपा में ही संग्राम होने की सम्भावना है। कार्यकर्ता विहिन कांग्रेस की स्थिति इस सीट पर काफी कमजोर है।वहीं बसपा भी कुछ खास करती दिखाई नहीं दे रही है।
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