हरदोई जिले के भूतनाथ मन्दिर में अदृश्य शक्तियां करती है पूजा, रहस्यमयी पूजा का आज तक नहीं हो सका खुलासा
हरदोई (आरएनआई )उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटा जनपद हरदोई अपने में कई पुरातन इतिहासों को समेटे हुए है। यह जनपद कई पौराणिक तीर्थ स्थलों का जनक है।ऐसा ही एक पुरातन मंदिर जनपद के कस्बा अहिरोरी में स्थित है।जिसे भस्म विभूतिधारी देवाधिदेव भोलेनाथ भूतनाथ के नाम से जाना जाता है।यह स्थान बाबा मंगलगिरि आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।इस मंदिर की मान्यता है कि आधी रात में कोई अदृश्य शक्तियां पूजा अर्चना करती है। लोगों की तमाम कोशिशों के बाद भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। यहां पर स्थित भूतनाथ का पाषाण शिवलिंग तमाम रहस्यमई कहानियों का गवाह रहा है. श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग कभी भी बिना पूजा अर्चना के किसी भी श्रद्धालु को नहीं मिला है. महर्षि मंगल गिरी आश्रम के प्रबंधक श्री शिवशंकर शुक्ल "लल्ले बाबा" बताते हैं कि इस शिवलिंग की स्थापना पुरातन काल में विख्यात संत परम सिद्ध मंगल गिरी बाबा जी ने की थी मंदिर के आसपास विशाल जंगल ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा करता था। नैमिषारण्य से कुछ दूरी पर होने के कारण इस शिवलिंग की पूजा अर्चना पंचकोशी यात्रा से गुजरने वाले संत महात्मा श्रद्धालु किया करते थे।भूतनाथ का यह स्थान चर्चा में पुरातन काल से है जब भोलेनाथ की पूजा करने वालों को यह पता चला कि यह शिवलिंग बिना पूजा के कभी भी नहीं रहता है।मंदिर से अगाध श्रद्धा रखने वाले बाबा धर्मपुरी जी का कहना है कि कुछ भक्तों ने तो मंदिर के गेट पर लेट कर यह पता करने की कोशिश की कि रात में पूजा अर्चना करने आखिर कौन आता है।लोगों ने बताया कि रात होते ही ठीक 12 बजे के बाद पहले पहर में एक लंबे व्यक्ति ने आकर कहा कि हट जाओ डरना मत किनारे लेट जाओ और फिर मंदिर के अंदर जाकर अदृश्य हो गया। जब मंदिर के अंदर जाकर टार्च लगाकर देखा गया तो पूजा-अर्चना हुई मिली थी।तब से लेकर आज तक कई बार मंदिर के पहली बार पूजा-अर्चना वाले रहस्य को कई बार लोगों ने देखने की कोशिश की है लेकिन पहली पूजा कौन करके जाता है यह रहस्य अभी भी बरकरार है। मन्दिर परिसर में स्थित कुआं को लेकर मान्यता है कि कुएं में मां गंगा आई थी।एक किंवदंती के अनुसार बाबा मंगलगिरि प्रतिदिन सुबह गंगा स्नान करने राजघाट जाते थे। उनके कठिन परिश्रम को देख कर मां गंगा ने बाबा से कहा आप रोज यहां पर पैदल चलकर मत आया करो मैं खुद वहां आपके कुएं में एक घंटे के लिए आ जाया करूंगी उसी समय में आप स्नान ध्यान कर लिया करना बाबा ने कहा मैं कैसे जानूंगा आप आई या नहीं मां गंगा ने कहा आप अपनी एक खड़ाऊ यहां डाल दो वो आपको मेरे बताए समय पर आपके कुंए में मिलेगी बाबा ने ऐसा ही किया फिर सुबह बाबा ने देखा तो खड़ाऊ यहां कुएं में आ चुकी थी
तब से आज तक अहिरोरी क्षेत्र के लोग मां गंगा का कुंआ मानकर उसकी पूजा अर्चना करते हैं
मंदिर में बने तालाब की मछलियो को अभय होने का वरदान
मंदिर से कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पाताल तोड़ तालाब स्थित है। जिसक किनारे पुराने समय से ही कदंब के पेड़ शोभायमान है. पुराने संत महात्मा इस स्थान को छोटीकाशी भी कहते हैं जंगल तालाब और तालाब के हर कोने पर बने मंदिर इस स्थान को रमणीय बनाते हैं. तालाब में काफी बड़ी संख्या में मछलियां संरक्षित हैं क्षेत्रवासियों का कहना है कि तालाब से कोई भी व्यक्ति मछलियां नहीं पकड़ता है. इन मछलियों को भी मंगलगिरी बाबा द्वारा अभय होने का वरदान प्राप्त है. भूतनाथ मंदिर से लोगों की अगाध श्रद्धा और अज्ञात शक्तियों के द्वारा की जाने वाली पूजा लोगों के लिए आश्चर्य श्रद्धा का विषय बनी हुई है । मंदिर परिसर में गुरूपूर्णिमा पर विशाल 'आषाढ़ी मेला' लगता है जो एक सप्ताह तक चलता है।यह मेला क्षेत्र की आस्था का प्रतीक है ।
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