'हमारे पास धैर्य नहीं बचा', प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के प्रति केंद्र के उदासीनता को अक्षम्य करार दिया था। कोर्ट ने इसे 31 जुलाई, 2021 तक शुरू करने का आदेश दिया था, ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा सके।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 19 नवंबर तक इस मामले में आवश्यक कदम उठाने का अंतिम मौका दिया। पीठ ने कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह साफ कर रहे हैं कि अब और ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
पीठ ने कहा कि हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं। इसके बाद आपके सचिव मौजूद रहेंगे। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है। दरअसल, शीर्ष अदालत कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेने के बाद 2020 में स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय के उसके 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में बताया गया हो।
शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के प्रति केंद्र के उदासीनता को अक्षम्य करार दिया था। कोर्ट ने इसे 31 जुलाई, 2021 तक शुरू करने का आदेश दिया था, ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा सके और कोविड संकट के दौरान उन तक कल्याणकारी उपाय पहुंचाए जा सकें। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महामारी के खत्म होने तक उन्हें मुफ्त सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं बनाने का आदेश दिया था, जबकि केंद्र को अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करना होगा।
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