स्वाति मालीवाल मारपीट केस: 'सीएम आवास में ऐसे गुंडे को जगह...', केजरीवाल के पीए बिभव को सुप्रीम कोर्ट की लताड़
बिभव ने मामले में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 12 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। उनका दावा है कि उसके खिलाफ आरोप झूठे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि जांच पूरी होने के कारण अब उसकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। शीर्ष अदालत ने बिभव कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए। बिभव ने इस साल मई में आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित रूप से हमला किया था। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिभव की जमानत याचिका पर सुनवाई अगले बुधवार के लिए सूचीबद्ध की। पीठ ने बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि अदालत दिल्ली हाईकोर्ट की आर से दर्ज की गई घटना के विवरण से हैरान है।
बिभव ने मामले में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 12 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। उनका दावा है कि उसके खिलाफ आरोप झूठे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि जांच पूरी होने के कारण अब उसकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। शीर्ष अदालत ने बिभव कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया।
पीठ ने सिंघवी से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री आवास एक निजी बंगला है? क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए? इस पर सिंघवी ने कहा कि चोटें गंभीर नहीं थीं। 13 मई की घटना के तीन दिन बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई और एक बात यह भी है कि मालीवाल का घटना के दौरान पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करना क्या संकेत देता है। इस पर पीठ ने कहा कि हम हर दिन भाड़े के हत्यारों और लुटेरों को जमानत देते हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस तरह की घटना है। जिस तरह से यह घटना हुई, वह परेशान करने वाली है। बिभव ने ऐसा व्यवहार किया कहि जैसे कोई गुंडा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस आया हो। पीठ ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के सामने उसकी पूरी दलील यह थी कि मालीवाल के आरोप मनगढ़ंत हैं।
सिंघवी ने कहा कि घटना के दिन वह पुलिस थाने गई थीं, फिर बिना कुछ कहे वापस आ गईं, लेकिन फिर तीन दिन बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई। इस पर पीठ ने कहा कि हम हैरान हैं? क्या एक युवती से बात करने का यह कैसा तरीका है? मालीवाल अपनी तबीयत के बारे में बता रही थीं, इसके बाद भी बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की। सिंघवी ने कहा कि अदालत मालीवाल की प्राथमिकी पर भरोसा कर रही है, लेकिन बिभव की शिकायत मालीवाल की मित्रवत पुलिस और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दर्ज नहीं की गई थी। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि हमें आपकी आंतरिक राजनीति से मतलब नहीं है और अदालत केवल केस रिकॉर्ड और प्राथमिकी पर गौर कर रही है।
मामले के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहती, लेकिन एक बार जब उन्होंने उसे अपनी विशेष शारीरिक स्थितियों के कारण ऐसा करने से मना किया, तो इस व्यक्ति ने उन पर हमला करना जारी रखा। पीठ ने कहा कि वह खुद को क्या समझता है? क्या सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है।
सिंघवी ने कहा कि ये सभी आरोप परीक्षण के मामले हैं और फिलहाल वह केवल जमानत की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले को उच्चतम स्तर पर ले जाने और अपराध को देखने के बाद भी वह जमानत का हकदार है, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकता या गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि हां, हम केवल जमानत के मुद्दे पर गौर कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि अगर इस तरह का व्यक्ति गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता, तो कौन कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि रिकॉर्ड देखिए, क्या मुख्यमंत्री आवास के ड्राइंग रूम में कोई ऐसा व्यक्ति था, जिसने बिभव कुमार खिलाफ बोलने की हिम्मत की? हमें लगता है कि उसे शर्म भी नहीं आई।
इस बीच सिंघवी ने कहा कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है। बिभव 75 दिनों से हिरासत में है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बिभव कुमार को सत्र अदालत की ओर से ही जमानत दे दी जानी चाहिए थी। जस्टिस दत्ता ने सिंघवी से बिभव के पद के बारे में पूछा तो सिंघवी ने जवाब दिया कि बिभव पहले सरकारी कर्मचारी था। अब वह केजरीवाल का राजनीतिक सलाहकार-सह-सचिव है, जो राजनीतिक नियुक्तियों को संभालता है।
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मालीवाल ने शिकायत में कहा था कि जब वह 13 मई को सीएम आवास मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने पहुंचीं थी तो बिभव ने उनके साथ मारपीट की। मालीवाल की शिकायत पर पुलिस ने बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि बिभव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। बिभव ने जमानत के लिए 27 मई को ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से जमानत खारिज होने के बाद सत्र न्यायालय में अपील की। वहां से भी निराशा के बाद बिभव ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी बिभव को राहत देने से इनकार कर दिया। अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिभव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
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