स्पेस में यातायात जाम! पृथ्वी की कक्षा में 14 हजार सैटेलाइट, अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए बनीं खतरा
वर्तमान में 14 हजार से ज्यादा विभिन्न उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं, जिनमें से करीब 3500 निष्क्रिय हैं। साथ ही पिछले प्रक्षेपणों और उपग्रहों के टकराव से पैदा हुए मलबे से हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं।
वॉशिंगटन (आरएनआई) दुनियाभर के देशों में यातायात जाम एक बड़ी समस्या बन गया है, लेकिन अब अंतरिक्ष भी इस समस्या से अछूता नहीं रह गया है। दरअसल पृथ्वी की निचली कक्षा में हजारों की संख्या में विभिन्न देशों के उपग्रह चक्कर लगा रहे हैं, साथ ही करोड़ों की संख्या में उपग्रहों का मलबा लगातार घूम रहा है, जिससे अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने हालात पर चिंता जाहिर की है और इस समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की अपील की है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों की बढ़ती संख्या पर ध्यान न दिया गया तो यह अहम क्षेत्र अनुपयोगी हो सकता है।
वर्तमान में 14 हजार से ज्यादा विभिन्न उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं, जिनमें से करीब 3500 निष्क्रिय हैं। साथ ही पिछले प्रक्षेपणों और उपग्रहों के टकराव से पैदा हुए मलबे से हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों के मलबे के 12 करोड़ टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। अक्तूबर के अंत में संयुक्त राष्ट्र के अंतरिक्ष यातायात समन्वय पैनल ने एलईओ (लो अर्थ ऑर्बिट-पृथ्वी की निचली कक्षा) के का व्यापक डेटाबेस तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया है।
पैनल की सह-अध्यक्ष और बाहरी अंतरिक्ष मामलों की निदेशक आरती होला मैनी का कहना है कि अंतरिक्ष यातायात समन्वय पर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है और इसमें समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उपग्रहों के बीच टकराव से बचने के लिए ऑपरेटर देशों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करने की जरूरत है। गौरतलब है कि वैश्विक संचार, नेविगेशन सिस्टम और वैज्ञानिक रिसर्च के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा की सुरक्षा करना बेहद जरूरी है।
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