स्थायी समिति सदस्य के चुनाव को मेयर डॉ. शैली ने बताया असांविधानिक
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को मेयर के अधिकारों का हनन बताया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय ने असांविधानिक करार देते हुए दावा किया कि वे 5 अक्तूबर को सदन की बैठक में दोबारा से निष्पक्ष चुनाव करवाएंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को मेयर के अधिकारों का हनन बताया है। इधर, इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर हंगामा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने चुनाव को दुखद घटना बताया।
चुनाव का परिणाम आने के बाद मेयर ने कहा कि भाजपा असांविधानिक तरीके से बार-बार सदन को चलाने की कोशिश कर रही है। मेयर होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी बनती है कि स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो। एमसीडी कमिश्नर को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शुक्रवार का चुनाव पूरी तरह से गैरकानूनी है। बृहस्पतिवार को सदन में चुनाव कराने की तारीख पांच अक्टूबर तय की गई थी। चुनाव उसी दिन होगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि आप-भाजपा की खींचतान की वजह से कांग्रेस ने स्थायी समिति के चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। वहीं, उन्होंने केजरीवाल व मुख्यमंत्री आतिशी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनता के बीच जाकर टूटी सड़कों और बदहाल हालात का निरीक्षण केवल जनता को गुमराह करने की साजिश है। यह दिखावा केवल जनता की नजरों में विश्वास बहाल करने का प्रयास है, जबकि वास्तविकता इससे कहीं दूर है।
सरकार के असली फैसले केजरीवाल ही ले रहे हैं। केजरीवाल ने वर्षों से टूटी सड़कों को नजरअंदाज किया और अब खुद के ही समर्थकों से बुलवाकर यह दिखा रहे हैं कि 6-7 महीनों से दिल्ली में कोई काम नहीं हुआ। यह रणनीति जनता को गुमराह करने के लिए रची गई है, लेकिन जनता अब इन चालों को समझ चुकी है। केजरीवाल ने 10 सालों में कभी भी सड़कों, अस्पतालों, स्कूलों या चौराहों का निरीक्षण क्यों नहीं किया। जब दिल्ली में जलभराव, करंट लगने, नालों में डूबने और इमारतों के ढहने जैसी घटनाओं में 40 से अधिक लोगों की जान चली गई थी तो आप नेता कहां थे।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव को लेकर भाजपा व उपराज्यपाल को कठघरे में खड़ा किया। शुक्रवार को केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा की नीयत में खोट है और यह चुनाव में गड़बड़ करना चाहते थे, तभी किसी भी तरह चुनाव कराने की ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे थे।
उपराज्यपाल ने सारे नियमों को दरकिनार कर आईएएस अफसर को सदन की अध्यक्षता करने का आदेश दिया, जबकि एमसीडी सदन बुलाने और उसकी अध्यक्षता करने का अधिकार सिर्फ मेयर के पास है। वहीं, नियम के हिसाब से जब भी सदन बुलाया जाता है तो सदस्यों को उपस्थित होने के लिए कम से कम 74 घंटे का समय दिया जाता है।
केजरीवाल ने कहा कि कानूनन एमसीडी सदन की बैठक बुलाने का अधिकार सिर्फ मेयर के पास है। इसके अलावा कोई भी बैठक नहीं बुला सकता। उपराज्यपाल व कमिश्नर को भी इसका अधिकार नहीं है। मेयर ही सदन की बैठक बुला सकती हैं और बैठक की अध्यक्षता भी मेयर ही कर सकती हैं। नियम को दरकिनार कर उपराज्यपाल ने एमसीडी का सदन बुलाया और उसकी अध्यक्षता किसी आईएएस अफसर को करने के नामित कर दिया। ऐसे तो कल को यह कहेंगे कि होम सेक्रेटरी लोकसभा की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। हम लोकतंत्र में रहते हैं।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि एमसीडी में भाजपा लोकतंत्र की हत्या कर रही है। अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में चुनाव कराना पूरी तरह से असांविधानिक है और हम इसका बहिष्कार करेंगे। एमसीडी एक्ट के अनुसार बैठक की अध्यक्षता सिर्फ मेयर, डिप्टी मेयर या वरिष्ठ पार्षद ही कर सकता है, कोई आईएएस अफसर नहीं। एक दिन पहले ही मेयर ने अपने अधिकारों का उपयोग कर चुनाव की अगली तारीख तय कर दी। इसके बावजूद एलजी ने रात में एमसीडी के आयुक्त को रात 10 बजे तक चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिए, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद अपने-अपने घर चले गए थे।
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