स्कन्दपुराण में बेल पत्र के विषय में क्या बताया गया है जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्रा से क्यों भोलेबाबा को चढ़ाये बेलपत्र
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता, यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
पुराणों और वेदों के अनुसार, बेलपत्र का धार्मिक, औषधीय तथा सांस्कृतिक महत्व है। हिंदू धर्म में बेलपत्र के को दिव्य वृक्ष माना जाता है, जिसे भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।
क्या है मान्यता
ये तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव की पूजा में उन्हें बेलपत्र अर्पित किया जाता है। महादेव की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कई चीजों के साथ विष भी निकला। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष को धारण कर लिया। विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर में ताप बढ़ने लगा। उस समय के एक वैद्य से सलाह लेने के बाद देवी-देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र खिलाया और जल से स्नान करवाया। जिसके बाद भगवान शिव के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी। तभी से भगवान पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चल आ रही है।
शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने के बाद जल चढ़ाएं. इससे भगवान शिव को शीतलता मिलेगी और उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए। जिस तरफ बेलपत्र की पत्तियां चिकनी हों, उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाएं। कटे-फटे बेलपत्र कभी भी भगवान शिव पर नहीं चढ़ाने चाहिए। इसे गंगाजल से धोकर साफ कर भगवान शिव को अर्पित करें। बेलपत्र चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई-
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर जा गिरी। इससे वहां एक पौधा उगा जो बाद में बेलपत्र के पेड़ के रूप में परिवर्तित हो गया।
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