सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों की वजह से नूह में हिंसा भड़क उठी
सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों की वजह से नूह में हिंसा भड़क उठी। दरअसल, सोशल मीडिया पर यह खबर चलाई गई कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित इस रैली में मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर भी हिस्सा लेगा। मोनू पर इस साल फरवरी में नासिर और जुनैद की मौत मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है।
एक वीडियो में देखा गया कि मोनू ने कहा था कि वो यात्रा में शामिल होने वाला है। इसके बाद यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई कि मोनू इस यात्रा में शामिल होगा। विहिप ने मोनू मानेसर को यात्रा में शामिल होने से मना कर दिया। लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी और धर्म विशेष के लोग हिंसा की पूरी तैयार कर चुके थे।
एक पोस्टर को लेकर हुई थी पहली बार हिंसा
देश के रिकॉर्ड में दर्ज पहली सांप्रदायिक हिंसा १७ अक्टूबर, १८५१ को भड़की थी। दरअसल, पारसी समुदाय और मुस्लिम समुदाय आपस में भिड़ गए थे। यह हिंसा एक अखबार 'चित्र ज्ञान दर्पण' की वजह से भड़क उठी थी। अखबार में मोहम्मद साहब की एक तस्वीर छापी गई थी। वहीं, अखबार का पन्ना मुंबई की जामा मस्जिद की दीवार पर चिपकाया गया था।
जब मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़कर बाहर आए तो लोगों ने दीवार पर तस्वीर देखी। तस्वीर देखकर लोग भड़क उठे क्योंकि इस्लाम धर्म में मोहम्मद साहब का चित्र किसी भी रूप में दिखाने पर पाबंदी है। गौरतलब है कि अखबार के संपादक बायरामजी कर्सेटजी, पारसी थे। अखबार के मालिक ने जब माफी मांगी तो मुस्लिम समुदाय के लोगों का गुस्सा शांत हुआ।
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