सोशल मीडिया ध्यान भटकाने का हथियार
न्यायमूर्ति सोनक ने कहा कि स्पष्ट रूप से, स्वतंत्र रूप से और निडर होकर सोचने की यह क्षमता एक छात्र को उन विचारों और विचारधाराओं को समझने और अस्वीकार करने में सक्षम बनाएगी, जो हर घंटे शक्तिशाली हो रहे मास मीडिया टूल्स से प्रभावित होते हैं।
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नई दिल्ली, (आरएनआई) बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ के न्यायाधीश महेश सोनक ने शनिवार को कहा कि सोशल मीडिया 'ध्यान भटकाने का हथियार' बन गया है लेकिन इससे निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। मडगांव शहर में जीआर करे कॉलेज ऑफ लॉ के छात्रों को व्याख्यान शृंखला 'जीआरके-लॉ टॉक्स' के दौरान संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति सोनक ने यह भी कहा कि वह समाचारों को देखने या पढ़ने की बजाय कई मुद्दों के बारे में "अनभिज्ञ" रहना पसंद करते हैं। उन्हें लगता है कि यह "गलत सूचना लेने से बेहतर" है। उन्होंने कहा, "आज, हम एक ऐसे युग में रहते हैं जहां हम कंप्यूटर और स्मार्टफोन जैसी मशीनों को किया जाता है और उनका महिमामंडन होता है। लेकिन हम उन मनुष्यों से बेहद अलग-थलग पर जाते हैं जो सोचने की कोशिश करते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अपनी खूबियां हैं, लेकिन वह एक दुखद दिन और दुखद दुनिया होगी जब हम अपनी सोचने की क्षमता, बुद्धिमान और संवेदनशील विकल्प बनाने की अपनी क्षमता को किसी मशीन या एल्गोरिदम के पास गिरवी रख देंगे। चाहे वह कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो।" उन्होंने कहा, "हमें अपनी सोच को खत्म नहीं करना चाहिए ताकि ऐसा न हो कि इंसान और मशीन में कोई अंतर न रह जाए। हम मानव जाति को उसकी मानवता से वंचित नहीं होने दे सकते या कम से कम हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।
न्यायमूर्ति सोनक ने कहा कि स्पष्ट रूप से, स्वतंत्र रूप से और निडर होकर सोचने की यह क्षमता एक छात्र को उन विचारों और विचारधाराओं को समझने और अस्वीकार करने में सक्षम बनाएगी, जो हर घंटे शक्तिशाली हो रहे मास मीडिया टूल्स से प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा, "कुछ दशक पहले, दुनिया डब्ल्यूएमडी- यानी सामूहिक विनाश के हथियारों के खिलाफ थी। आज, सोशल मीडिया या मास मीडिया बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने का हथियार बन गया है और फिर भी उनसे लड़ने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।
न्यायाधीश ने कहा कि अपने तरीके से, प्रयोग के माध्यम से, वह लगभग चार वर्षों से समाचार नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा, "खबरें नहीं पढ़ने या देखने से मुझे एहसास होता है कि मुझे कई मुद्दों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि यह गलत सूचना लेने से बेहतर है। इसलिए, अक्सर सूचना नहीं होना और गलत सूचना के बीच विकल्प होता है। इस अवसर पर विद्या विकास अकादमी के अध्यक्ष नितिन कुनकोलिनकर, उपाध्यक्ष प्रीतम मोरेस और कॉलेज के प्राचार्य डोरेटी सिमोस उपस्थित थे।
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