सेवा की प्रतिमूर्ति थीं ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती : सांसद साक्षी महाराज
वृन्दावन। हरिवंश नगर स्थित नवनिर्मित आनंद भवन आश्रम में ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती महाराज के अष्ट-दिवसीय प्रथम पुण्यतिथि महोत्सव के समापन के अवसर पर संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए उन्नाव के सांसद महामंडलेश्वर डॉ. सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज एवं महामंडलेश्वर भक्तानंद हरि साक्षी महाराज ने कहा कि साध्वी माता आनंद सरस्वती महाराज सेवा को प्रतिमूर्ति थीं।वे नर सेवा को नारायण सेवा मानती थीं।उन जैसी पुण्यात्माओं से ही पृथ्वी पर धर्म और अध्यात्म का अस्तित्व है।
निर्मल पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानदेव महाराज एवं संत प्रवर गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि माता आनंद सरस्वती ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद महाराज की परम्परा की अत्यंत विद्वान संत थीं। वह दशनामी सन्यासी सरस्वती सम्प्रदाय से दीक्षित थीं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं शिव कुमार चौहान (दिल्ली) ने कहा कि माता आनंद सरस्वती श्रीमद्भागवत व श्रीराम चरित्र मानस की यशस्वी प्रवक्ता थी। उन्हें कई धर्म ग्रंथ कंठस्थ थे,जिनका वह दैनिक प्रवचन किया करती थीं।
महंत ब्रजानंद सरस्वती महाराज एवं महंत अमनदीप महाराज ने कहा कि हमारी सदगुरुदेव माता आनंद सरस्वती प्रख्यात संत स्वामी चंद्रशेखरानंद सरस्वती की प्रमुख शिष्या थी। वह अपने अखाड़ा व सम्प्रदाय के उन्नयन व संवर्धन के लिए आजीवन कृत संकल्पित रहीं।
अघोर शक्तिपीठाधीश्वर स्वामी बालयोगेश्वरानंद गिरि महाराज एवं महामडलेश्वर स्वामी राधाप्रसाद देव जू महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती धर्म व अध्यात्म के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में भी अग्रणीय थीं। निर्धनों, निराश्रितों, अपहिजों व विधवाओं आदि की उन्होंने अत्यधिक मदद की। उनके द्वारा स्थापित वृद्धाश्रम व गौशाला आदि समाजसेवा के क्षेत्र में निरन्तर कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर संतों व विशिष्ट व्यक्तियों के द्वारा ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती की प्रतिमा का अनावरण किया गया।साथ ही उनकी प्रथम आरती की गई।इसके अलावा महंत ब्रजानंद सरस्वती को निर्मल अखाड़ा के द्वारा महंताई सौंप कर उन्हे पगड़ी पहनाई गई।
इस अवसर पर महंत अरुण दास महाराज, महंत संतदास महाराज, निर्मल अखाड़ा के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज,महंत रमणरेती दास, स्वामी गंगानंद महाराज (कोतवाल), डॉ. रूपकिशोर वर्मा (रूपन),मुकेश सरस्वती (पूर्व प्रधान), डॉ. शशिकांत तिवारी(लखनऊ),रविन्द्र कुलश्रेष्ठ, वामदेव मठ के व्यवस्थापक डॉ. उमेश शास्त्री, स्वामी सुबोधानंद महाराज, सौरभ गौड़, आचार्य बद्रीश महाराज, पंडित अखिलेश शास्त्री,हनुमान टेकरी के महंत दशरथ दास महाराज,महंत मोहिनी शरण महाराज, मनु सच्चर (कनाडा), डॉ. राधाकांत शर्मा, महेश गौतम, श्रीमती सुजैन आनंद, अमित दीक्षित आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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