सेवानिवृत्त नॉन आईटीआई धारक संभालेंगे 666 विद्युत उपकेंद्र, भर्ती के आदेश
तीन हजार कर्मियों को जोर का झटका धीरे से, घर बैठाए जाएंगे आठ हजार से ज्यादा आईटीआई धारक संविदा कर्मी।
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मेरठ (आरएनआई) लगभग तीन हजार संविदा कर्मचारियों के घर का चूल्हा बुझने के आसार नजर आ रहे हैं। पीवीवीएनएल प्रशासन के एक आदेश से इन संविदा कर्मचारियों को जोर का झटका धीरे से लगा है। मुख्य अभियंता मानव संसाधन प्रशासन एसएम गर्ग की कलम से जारी इस आदेश में संविदा कर्मचारियों को हटाकर उनके स्थान पर सेवानिवृत्त फौजियों को भर्ती किए जाने की बात कही गयी है।
आदेश अभी जारी किया गया है, लेकिन जैसे ही इसका क्रियान्वयन धरातल पर होगा, एक ही झटके में लगभग तीन हजार संविदा कर्मचारी जिन्हें पीवीवीएनएल की रीढ़ माना जाता हे वो रीढ़ टूट जाएगी। इनको घर बैठा दिया जाएगा। इनमें से बड़ी संख्या ऐसे संविदा कर्मचारियों की बतायी जा रही है। जिन्हें एक लंबा अरसा सेवा देते हुए हो गया है और ऐसे कर्मचारी किसी स्थायी कर्मचारी की तर्ज पर ही अपने सेवा पीवीवीएनएल को दे रहे हैं, यह बात अलग है कि इसकी एवज में उन्हें जो सेलरी दी जाती है वो सम्मानजनक नहीं है।
मुख्य अभियंता मानव संसाधन प्रशासन के कार्यालय आदेश को लेकर तमाम कर्मचारी नेताओं ने आस्तीन चढ़ा ली है। उन्होंने इस आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस आदेश से केवल बिजली उपकेंद्रों को संभालने वाले कर्मचारी नहीं नहीं सबसे ज्यादा नुकसान तो उन बिजली उपकेंद्रों को पहुंचाने का किया जा रहा है जो नॉन आईटीआई के हाथों में सौंपे जाने की तैयारी इस बेतुके फैसले में के बाद कर ली गयी है। उनका कहना है कि यदि सेना व दूसरी सुरक्षा एजेन्सियों से सेवानिवृत्त होने वाले जवानों को कहीं रखना ही है तो उन्हें पीवीवीएनएल अफसर सुरक्षा संबंधित कामों में रखें। वो लोग सुरक्षा संबंधित कामों के ही माहिर होते हैं। सबसे तीखी प्रतिक्रिया निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति के अध्यक्ष व विद्युत संविदा मजदूर संगठन के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह व्यक्त की है। उन्होंने इस फैसले को बुतुका करार देते हुए कर्मचारियों के पेट पर लात मारने वाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि बगैर किसी देरी के इस आदेश को वापस लिय जाना चाहिए। यह फैसला बेतुका है। बगैर किसी कसूर के यह नादिरशाही फरमान कैसे जारी किया जा सकता है। कर्मचारी नेता भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि इसको लेकर वह संगठन के दूसरे साथियों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। इसका पूर जोर विरोध किया जाएगा। किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
जो आदेश जारी किया गया है उसको लेकर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा हैरान व परेशान तो संविदा के वो कर्मचारी हैं जिन्होंने बिजली उपकेंद्रों को संभालने में अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा गुजार दिया। इनमें से सभी या कहें ज्यादातर आईटीआई धारक हैं। उनका कहना है कि नॉन आईटीआई धारकों को कैसे बिजली उपकेंद्रों का जिम्मा दिया जा सकता है। यह कदम आत्मघाती साबित होगा। वहीं, दूसरी ओर इस आदेश के सामने आने के बाद तमाम संविदा कर्मचारियों में अब अफरा-तफरी का माहौल है।
यह बेहद गंभीर मामला है। संविदा कर्मचारियों के रोटी रोजगार के अलावा बिजली उपकेंद्रों के संचालन से भी जुड़ा मसला है। इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के सीएम व प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। - भूपेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति के अध्यक्ष व विद्युत संविदा मजदूर संगठन।
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