सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका पर टली सुनवाई, साल 2016 में सुरजागढ़ खदान में आगजनी का है आरोप
गाडलिंग पर आरोप है कि उसने 25 दिसंबर 2016 को माओवादियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सुरजागढ़ खदान में लौह अयस्क की ढुलाई के लिए लगे 76 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साल 2016 के सुरजागढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले में सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी। दरअसल गाडलिंग की ओर से पेश वकील ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर जवाब पर विचार करने के लिए समय देने की मांग की। जिसके बाद न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मामले पर सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर, 2023 को नोटिस जारी कर महाराष्ट्र सरकार से गाडलिंग की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया था। 31 जनवरी 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने गाडलिंग को जमानत देने से मना कर दिया था। इसके खिलाफ गाडलिंग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। गाडलिंग पर आरोप है कि उसने 25 दिसंबर 2016 को माओवादियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सुरजागढ़ खदान में लौह अयस्क की ढुलाई के लिए लगे 76 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी।
गाडलिंग पर जमीनी स्तर पर काम कर रहे माओवादियों की मदद करने आरोप है। गाडलिंग के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। गाडलिंग पर आरोप है कि उन्होंने माओवादी को सरकारी गतिविधियों और कुछ क्षेत्रों के मानचित्रों के बारे में गुप्त जानकारी दी थी। उन्होंने कथित तौर पर माओवादियों से सूरजागढ़ खदान के संचालन का विरोध करने के लिए कहा और कई स्थानीय लोगों को भी आंदोलन में शामिल होने के लिए उकसाया था। गाडलिंग पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गर परिषद सम्मेलन हिंसा मामले में शामिल होने का भी आरोप है।
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