सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पोषणीयता पर फैसला उपासना स्थल कानून 1991 के तहत
उपासना स्थल कानून 1991 के तहत उत्तर प्रदेश के वाराणसी से जुड़े ज्ञानवापी मामले की पोषणीयता पर सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला करेगा। शीर्ष कोर्ट ने सभी संबंधित केस इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की मांग पर आपत्ति जताई है। अब इस मामले में 17 दिसंबर को सुनवाई होगी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट उपासना स्थल कानून 1991 के तहत ज्ञानवापी मामले की पोषणीयता पर फैसला करेगा। कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली हिंदू महिलाओं के एक समूह की ओर से दायर उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के आलोक में मुकदमे की कानूनी स्थिरता तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। मस्जिद प्रबंधन समिति का तर्क है कि हिंदू पक्ष के दायर सभी मुकदमे उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित हैं।
साथ ही कोर्ट ने सभी संबंधित मुकदमों की सुनवाई वाराणसी के सिविल न्यायालयों से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की माग पर भी आपत्ति जताई। ज्ञानवापी मामले से संबंधित 17 मुकदमों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने के हिंदू पक्ष के अनुरोध पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि साक्ष्य संग्रह और मुकदमे की कार्यवाही के लिए वाराणसी जिला न्यायाधीश उपयुक्त मंच हो सकते हैं। पीठ ने हिंदू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान से कहा कि बस, इस बात पर विचार करें कि क्या एक जिला न्यायाधीश को सब कुछ सुनना चाहिए। हमारा मानना है कि मामले के इस अदालत में पहुंचने से पहले तथ्यों के प्रश्न पर फिर से विचार करने के लिए हाईकोर्ट के रूप में अपीलीय मंच होना चाहिए।
श्याम दीवान ने सभी लंबित मुकदमों को एकीकृत करने और उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ को हस्तांतरित करने पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि कुछ मुकदमे जिला न्यायाधीश के समक्ष लंबित हैं, जबकि अन्य वाराणसी में सिविल न्यायाधीश के समक्ष हैं। इससे परस्पर विरोधी फैसले हो सकते हैं। हिंदू पक्ष की दलील का विरोध करते हुए मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने आग्रह किया कि वह ऐसी मिसाल कायम करने से बचें जिससे इसी तरह के विवादों को हाईकोर्ट में तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने सवाल किया कि अगर इस सिद्धांत को अपनाया जाता है तो देश भर में विवादों के संबंध में इसी तरह के मुद्दे उठेंगे। क्या ऐसे सभी मामले सीधे हाईकोर्ट में जाने चाहिए? सभी दलीलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में अब अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
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