सुप्रीम कोर्ट ने कचरे की समस्या दूर नहीं करने पर MCD को फटकारा, कहा- राजधानी की स्थिति दयनीय
मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना इकट्ठा होने वाले तीन हजार टन ठोस कचरे का निपटान नहीं हो पा रहा है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ठोस कचरे के निपटारे में नाकाम रहने पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने राजधानी की मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए दुख व्यक्त किया। कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ठोस कचरे से निपटने के संबंध में स्थिति दयनीय है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में रोजाना तीन हजार टन से अधिक कचरे का निपटारा नहीं हो पा रहा है। यहां प्रतिदिन 11 हजार टन से अधिक ठोस कचरा होता है। मगर निपटारे की क्षमता हर दिन सिर्फ 8,073 टन है। अनुपचारित (untreated) ठोस कचरे से लोगों के स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति पैदा हो सकती है।
यमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हर 11 हजार टन से अधिक ठोस कचरा होता है। जबकि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा हर दिन कचरे का निपटारा करने की क्षमता केवल 8,073 टन है। इसलिए हम इस बात से सहमत है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति पैदा हो सकती है। जब राजधानी शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के लागू होने की बात आती है तो यह एक दुखद स्थिति है।
पीठ ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि मुद्दे के तत्काल समाधान के लिए एमसीडी और दिल्ली सरकार के अधिकारियों की बैठक बुलाई जाए।
मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी। शीर्ष अदालत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ठोस कचरे के निस्तारण से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना इकट्ठा होने वाले तीन हजार टन ठोस कचरे का निपटान नहीं हो पा रहा है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?